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३० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-इद्ध शब्द (राही पथिक) ४. नीच (अधम) । इस प्रकार इडा शब्द के छह तथा इति शब्द के नौ और इत्वर शब्द के चार अर्थ जानना। मूल : इद्ध नपंसकं दीप्तौ विस्मयाऽऽतपयोरपि ।
त्रिषु स्यान्निर्मलेऽपीघ्ममग्नि दीपनदारुणि ॥ १५४ ।। इनो नृपान्तरे सूर्ये प्रभौ पत्यावपीष्यते।
इन्दिन्दिरो द्विरेफः स्यादिन्दिरा मन्दिरे हरौ ॥ १५५ ॥ हिन्दी टीका-नपुंसक इद्ध शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. दीप्ति (प्रकाश लाइट ज्योति वगैरह) २. विस्मय (आश्चर्य-अचम्भा) और ३. आतप (तड़का-धूप-ताप)। किन्तु निर्मल (मल रहित-स्वच्छ) अर्थ में इद्ध शब्द त्रिलिंग माना जाता है । इध्म शब्द भी त्रिलिंग माना जाता है और उसके दो अर्थ होते हैं१. अग्निदीपन (आग का सुलगना, ज्वाला) और २. दारु (लकड़ी-काष्ठ)। इन शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. नृपान्तर (राजा-विशेष) २. सूर्य, ३. प्रभु (मालिक स्वामी) और ४. पति (स्वामी)। इन्दिन्दिर शब्द भी पुल्लिग ही है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. द्विरेफ (भ्रमर-भौंरा) २. इन्दिरामन्दिर (लक्ष्मी गृह) और हरि (भगवान् विष्णु वगैरह) । इस तरह इद्ध शब्द के चार एवं इध्म शब्द के दो तथा इन शब्द के चार और इन्दिन्दिर शब्द के दो अर्थ होते हैं ऐसा जानना चाहिये ।। मूल : इन्दुः सुधांशौ कर्पू र इन्दुरोऽपि च मूषिके ।
इन्द्रः पुमान् देवराजे कुटजे परमेश्वरे ॥ १५६ ।। उपद्वीपान्तरे सूर्ये रजन्यामन्तरात्मनि ।
इन्द्रकोषस्तुनि! हे पर्यङ्कऽपि तमङ्गके ॥ १५७ ॥ हिन्दी टीका-इन्दु शब्द भी पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. सुधांशु (चन्द्रमा) २. कर्पूर (कपूर) । इन्दुर शब्द भी पुल्लिग ही है और उसका मूषिक (चूहा-उन्दर) अर्थ होता है। इसी प्रकार इन्द्र शब्द भी पुल्लिग ही है और उसके सात अर्थ होते हैं-१. देवराज (इन्द्र) २. कुटज (पुष्प विशेष, जूही) ३. परमेश्वर (परमात्मा) ४. उपद्वीपान्तर (छोटा द्वीप विशेष) ५. सूर्य, ६. रजनी (रात) और ७. अन्तरात्मा (जीवात्मा का साक्षी) । इन्द्रकोष शब्द भी पुल्लिग हो माना जाता है और उसके तीन अर्थ होते है-१. नियूंह (लस्सा गोंद खुटी पुष्प विशेष वगैरह) और २. पयंक (चारपाई-पलंग) और ३. तमङ्गक (प्राणी विशेष क्षद्र-जीव) । इस प्रकार इन्दु शब्द के दो, इन्दुर शब्द का एक, इन्द्र शब्द के सात और इन्द्रकोष शब्द के तीन अर्थ समझना । मूल : इन्द्राणी सेन्दुवारे स्याद् दुर्गायां मातृकान्तरे ।
शची स्त्रीकरण-स्थूल - सूक्ष्मैलासु प्रयुज्यते ॥ १५८ ।। इरा भूमौ सरस्वत्यां वाक्ये सलिल-मद्ययोः ।
कश्यप स्त्रीविशेषेऽपि गोभूवाक्येष्विलास्त्रियाम् ॥ १५६ ।। हिन्दी टीका-इन्द्राणी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके सात अर्थ होते हैं-१. सेन्दुवार (पुष्प-विशेष निर्गुडी वगैरह) २. दुर्गा (पार्वती) ३. मातृकान्तर (मातृका विशेष) ४. शची (इन्द्र की पत्नी) ५. स्त्रीकरण
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