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529-612
529
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अध्याय 10: अर्थ-प्रबन्धन
(Wealth Management) 10.1 अर्थ की परिभाषा एवं अवधारणा 10.2 जीवन में अर्थ का महत्त्व एवं स्थान 10.3 जैन जीवनदृष्टि में अर्थ का महत्त्व 10.4 असन्तुलित, अमर्यादित एवं अव्यवस्थित अर्थनीति के दुष्परिणाम 10.5 जैनआचारमीमांसा के आधार पर अर्थ-प्रबन्धन 10.6 जैनआचारमीमांसा के आधार पर अर्थ-प्रबन्धन का प्रायोगिक पक्ष 10.7
निष्कर्ष 10.8 स्वमूल्यांकन एवं प्रश्नसूची (Self Assessment : A questionnaire)
सन्दर्भसूची
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558
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605
607
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अध्याय 11: भोगोपभोग-प्रबन्धन
(Consumption Management) 11.1 भोगोपभोग की अवधारणा एवं उपभोक्ता संस्कृति 11.2 भोगोपभोग का जीवन में महत्त्व 11.3 उपभोक्ता संस्कृति का स्वरूप 11.4 असन्तुलित, अमर्यादित एवं अव्यवस्थित भोगपभोग-नीति
(उपभोक्ता-संस्कृति) के दुष्परिणाम 11.5 जैनआचारमीमांसा के आधार पर भोगोपभोग-प्रबन्धन 11.6 भोगोपभोग-प्रबन्धन का प्रायोगिक पक्ष
निष्कर्ष 11.8 स्वमूल्यांकन एवं प्रश्नसूची (Self Assessment : A questionnaire)
सन्दर्भसूची
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11.7
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651
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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