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and embroidered pictures. At the movement of the wind, the gown was looking like foam. They were ready for dancing performance.
७६. तयणंतरं च णं नानामणि जाव पीवरं पलंबं वामं भुयं पसारेति। ___ तओ णं सरिसयाणं, सरित्तयाणं, सरिव्वयाणं, सरिसलावण्ण-रूवजोव्वणगुणोववेयाणं, एगाभरण-वसणगहिअ णिज्जोआणं दुहतो संवेल्लियग्गणियत्थाणं आविद्धतिलयामेलाणं पिणद्धगेवेज्ज-कंचुईणं नानामणि-रयणभूसण विराइयंगमंगाणं चंदद्धसमनिलाडाणं चंदाहियसोमदंसणाणं उक्का इव उज्जोवेमाणीणं सिंगारागारचारुवेसाणं संगयगय-हसिय भणिय-चिट्ठय विलास-ललियसंलावनिऊण-जुत्तोवयारकुसलाणं, गहियाउज्जाणं अट्ठसयं नट्टसज्जाणं देवकुमारियाणं णिग्गच्छइ।
७६. पश्चात् सूर्याभदेव ने अनेक प्रकार की मणियो आदि के आभूषणों से विभूषित * यावत् पीवर-पुष्ट एवं लम्बी बायी भुजा को फैलाया।
उस भुजा से समान शरीर वाली, समान रग, समान वय, समान लावण्य-रूप-यौवन गुणो वाली, एक जैसे आभूषणो व दोनो ओर लटकते पल्लेयुक्त उत्तरीय वस्त्रों और * नाट्योपकरणों से सुसज्जित, ललाट पर तिलक, मस्तक पर आमेल (फूलों से बने मुकुट * जैसे शिरोभूषण), गले में ग्रैवेयक और कचुकी वस्त्रों को धारण किये हुए अनेक प्रकार के 0 मणि-रत्नो के आभूषणो से शोभित सुन्दर अग-प्रत्यगो वाली चन्द्रमुखी, चन्द्र के समान
ललाट वाली, चन्द्रमा से भी अधिक सौम्य दिखाई देने वाली, उल्का के समान चमकती, + शृगार के घर के समान चारु-सुन्दर वेश वाली, हॅसने-बोलने आदि मे पटु, नृत्य करने के * लिए तत्पर एक सौ आठ देवकुमारियाँ निकलीं।
76. Thereafter Suryabh Dev stretched his left arm which was wearing ornaments studded with many types of gems. It was long and well-built.
He emanated with fluid molecules one hundred eight fairies, who were expert in talking, dancing and creating humour. They were identical in physical outlook, complexion, age, beauty youth
like qualities and were wearing same type of ornaments and a dancing apparel. They were having vermillion mark on forehead, to the head ornament, the necklace, the bodice and orriaments
studded with gems and jewels on various parts of their body. They were having moon-like face and forehead and were looking more
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र सूर्याभ वर्णन
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Description of Suryabh Dev
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