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१४६. उन उत्पातपर्वतों व पक्षिहिंडोलों आदि पर सर्वरत्नमय, निर्मल यावत अतीव मनोहर अनेक हसासन (हंस जैसी आकृति वाले आसन), क्रोचासन, गरुडासन, उन्नतासन (ऊपर की ओर उठे हुए आसन), प्रणतासन (नीचे की ओर झुके हुए आसन), दीर्घासन (शय्या जैसे लम्बे आसन). भद्रासन, पक्ष्यासन, मकरासन, वृषभासन, सिहासन, पद्मासन
और दिशास्वस्तिक आसन पक्षी, मगर, वृषभ, सिह, कमल और स्वस्तिक के चित्रामों से सुशोभित अथवा तदनुरूप आकृति वाले आसन रखे हुए हैं। THE GRANDEUR OF UTPAT MOUNTAINS AND OTHERS ____146. On the utpat mountains and swings for birds are many swan-shaped, cronch-shaped, eagle-shaped, raised, uplifted, bending down, long bed-like, bhadrasan, seats for birds, for crocodiles, for bullocks, for lions, lotus seats and swastik seats. They are decorated with pictures or sketches of birds, crocodiles, bullocks, lion, lotus and swastik. All of them are studded with gems, are clean and upto very pleasing to the mind. वनखंडवर्ती गृहीं का वर्णन
१४७. तेसु णं वणसंडेसु तत्थ तत्थ तहिं तहिं देसे देसे बहवे आलियघरगा, मालियघरगा, कयलिघरगा, लयाघरगा, अच्छणघरगा, पिच्छणघरगा, मज्जणघरगा, पसाहणघरगा, गब्भघरगा, मोहणघरगा, सालघरगा, जालघरगा, कुसुमघरगा, चित्तघरगा, गंधवघरगा, आयंसघरगा सबरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा।
१४७. उन वनखंडों में यथा योग्य स्थानों पर बहुत से आलिगृह (वनस्पति-विशेष से बने हुए गृह, जैसे-मंडप), मालिगृह (वनस्पति-विशेष से बने हुए गृह), कदलीगृह (केले के र मंडप), लतागृह (लता मंडप), आसनगृह (विश्राम करने के लिए बैठने योग्य आसनों से युक्त
घर), प्रेक्षागृह (प्राकृतिक शोभा के अवलोकन हेतु बने विश्रामगृह अथवा नाट्यगृह), मज्जनगृह (स्नानघर), प्रसाधनगृह (शृंगार-साधनों से सुसज्जित स्थान), गर्भगृह (भीतर का घर), मोहनगृह (रतिक्रीडा करने योग्य स्थान), शालागृह, जाली वाले गृह, कुसुमगृह, चित्रगृह-(चित्रों से सज्जित स्थान), गंधर्वगृह (संगीत-नृत्यशाला), आदर्शगृह (दर्पणों से 9 बने हुए भवन) सुशोभित हो रहे है। ये सभी गृह रत्नों से बने हुए अधिकाधिक निर्मल यावत् - असाधारण मनोहर हैं।
DESCRIPTION OF HOUSES IN FOREST-REGIONS ___147. At proper places in the forest-regions, there are many ॐ houses made of vegetation (Aaligrih), many houses made of special रायपसेणियसूत्र
Rar-paseniya Sutra
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