Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan
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* अभिषेक सभा आदि की प्रमार्जना
(झ) जेणेव अभिसेयसभा, तेणेव उवागच्छइ तहेव सीहासणं च मणिपेढियं च, सेसं तहेव आययणसरिसं जाव पुरथिमिल्ला गंदापुस्खरिणी। जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छइ जहा अभिसेयसभा तहेव सव्वं । ___ जेणेव ववसायसभा तेणेव उवागच्छइ तहेव लोमहत्थयं परामुसति, पोत्थयरयणं
लोमहत्थएणं पमज्जइ, पमज्जित्ता दिव्याए दगधाराए अग्गेहिं वरेहि य गंधेहिं मल्लेहि य * अच्चेति मणिपेढियं सीहासणं च सेसं तं चेव।
पुरथिमिल्ला नंदापुक्खरिणी जेणेव हरए तेणेव उवागच्छइ तोरणे य तिसोवाणे य सालभंजियाओ य वालरूवए य तहेव। ___ जेणेव बलिपीढं तेणेव उवागच्छइ बलिविसज्जणं करेइ, आभिओगिए देवे सद्दावेइ
सदावित्ता एवं वयासी* (झ) इसके पश्चात् अभिषेक सभा मे आया, यहाँ पर भी पहले की तरह सिंहासन व * मणिपीठिका को मोरपीछी से प्रमार्जित किया, धूप जलाने तक के सब कार्य किये। तत्पश्चात्
दक्षिण द्वारादि के क्रम से पूर्व दिशावर्ती-नन्दा पुष्करिणी तक सिद्धायतन की तरह धूपक्षेप
आदि कार्य सम्पन्न किये। * इसके बाद व्यवसाय सभा (पुस्तकालय) में आया और मोरपीछी लेकर पुस्तकरत्न को
पौंछा, फिर उस पर दिव्य जल छिडका। सर्वोत्तम श्रेष्ठ गन्ध और मालाओं से उसकी अर्चना * की। इसके बाद मणिपीठिका की, सिंहासन की प्रमार्जना की तथा सर्व कार्य सम्मन्न किये।
तदनन्तर दक्षिण द्वारादि के क्रम से पूर्व नन्दा पुष्करिणी तक सिद्धायतन की तरह ॐ प्रमार्जना आदि कार्य किये। इसके बाद वह हृद-सरोवर पर आया। वहाँ आकर तोरणों, 2 त्रिसोपानों, पुतलियों और व्याल रूपों की प्रमार्जना आदि धूपक्षेप पर्यन्त कार्य सम्पन्न किये। की इन सबकी अर्चना कर लेने के बाद वह बलिपीठ (देवता आदि के नाम पर दी जाने
वाली भेंट 'बलि' है, बलि देने का स्थान-बलिपीठ है) के पास आया और बलि-विसर्जन करके अपने आभियोगिक देवों को बुलाकर उन्को यह आज्ञा दीCLEANING OF CORONATION-HALL
(i) Thereafter he came to the coronation-hall, cleaned the throne and gemmed seat with mop of peacock hair and performed all other
earlier mentioned activities upto burning of incense. Thereafter, ० रायपसेणियसूत्र
Rar-paseniya Sutra
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