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"Me lord! Four horses that were given as a gift by the people of Kamboj to your honour, have been trained by me. So you please come and test their gait, their speed and other activities."
Then king Pradeshi told Chitta Saarthi-"O Chitta ! You go and bring here those four horses driving a chariot. After compliance, you inform me."
(ख) तए णं से चित्ते सारही पएसिणा रन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठ जाव हियए उagवेइ, एयमाणत्तियं पच्चप्पिण |
तणं से एसी राया चित्तस्स सारहिस्स अंतिए एयम सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठ जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे साओ गिहाओ निग्गच्छइ । जेणामेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ, चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइ, सेयवियाए नगरीए मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ ।
तए णं से चित्ते सारही तं रहं णेगाई जोयणाई उब्भामेइ । तए णं से पएसी राया उणय तहाए य रहवाएणं परिकिलंते समाणे चित्तं सारहिं एवं वयासी - चित्ता ! परिकिलंते मे सरीरे, परावत्तेहि रहं ।
तणं से चित्ते सारही रहं परावत्तेइ । जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, पएसिं रायं एवं वयासी - एस णं सामी ! मियवणे उज्जाणे, एत्थ णं आसाणं समं किलामं सम्म अवणेमो ।
तणं से पएसी राया चित्तं सारहिं एवं वयासी एवं होउ चित्ता !
(ख) प्रदेशी राजा का उत्तर सुनकर चित्त सारथी हर्षित एवं सन्तुष्ट हुआ । उसने अश्व-रथ उपस्थित किया और रथ ले आने की सूचना राजा को दी।
तत्पश्चात् वह प्रदेशी राजा चित्त सारथी की बात सुनकर हृष्ट - तुष्ट हुआ । स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर मूल्यवान् आभूषणों से शरीर को अलकृत करके अपने भवन से निकला और जहाँ चार घटों वाला अश्व - रथ था, वहाँ आया। उस चार घटो वाले अश्व - रथ पर आरूढ होकर सेयविया नगरी के मध्य से बाहर निकला ।
चित्त सारथी ने उस रथ को अनेक योजनो तक अर्थात् बहुत दूर तक बडी तेज चाल से दौडाया - चलाया। तब गरमी, प्यास और रथ की चाल से लगती धूल भरी हवा से व्याकुल, परेशान, खिन्न होकर प्रदेशी राजा ने चित्त सारथी से कहा - " हे चित्त ! मेरा शरीर बहुत थक गया है । रथ को वापस लौटा लो।"
केशीकुमार श्रमण और प्रदेशी राजा
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Keshi Kumar Shraman and King Pradeshi
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