Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 372
________________ २४६. अब प्रदेशी राजा ने केशीकुमार श्रमण के समक्ष नया तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा___ “हे भदन्त | आपका यह तर्क व उपमा तो बुद्धि से कल्पित है। किन्तु मेरा कथन सुनिएमेरी दादी थीं। वह इसी सेयविया नगरी मे बहुत धर्मपरायणा थीं। धार्मिक आचार-विचारपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने वाली, जीव-अजीव आदि तत्त्वों की ज्ञाता श्रमणोपासिका यावत् तप से आत्मा को भावित करती हुई रहती थीं। आपके कथनानुसार वे अवश्य ही पुण्य का उपार्जन कर मृत्यु प्राप्त करके किसी देवलोक में देवरूप से उत्पन्न हुई हैं। उन आर्यिका (दादी) का मैं इष्ट, कान्त यावत् बहुत ही प्यारा पौत्र हूँ। अतएव वे आर्यिका यदि यहाँ आकर मुझसे इस प्रकार कहे कि 'हे पौत्र | मै तुम्हारी दादी थी और इसी सेयविया नगरी मे धार्मिक जीवन व्यतीत करती हुई श्रमणोपासिका थी। इसके फलस्वरूप मैं विपुल पुण्य का सचय करके देवलोक मे उत्पन्न हुई हूँ। हे पौत्र ! तुम भी धार्मिक आचार-विचारपूर्वक अपना जीवन बिताओ। जिससे तुम भी विपुल पुण्य का उपार्जन करके आगे देवलोक में देवरूप से उत्पन्न होओगे।' इस प्रकार से यदि मेरी दादी आकर मुझसे कहे-'जीव अन्य है और शरीर अन्य है । अर्थात् जीव और शरीर एक नहीं है', तो हे भदन्त ! मैं आपके कथन पर विश्वास कर सकता हूँ, प्रतीति कर सकता हूँ और अपनी रुचि का विषय बना सकता हूँ। परन्तु जब तक मेरी दादी आकर मुझसे ऐसा नही कहती तब तक मेरी यह धारणा पक्की और सही समझता हूँ कि जो जीव है वही शरीर है। किन्तु जीव और शरीर भिन्न-भिन्न नहीं है।' FOUR REASONS FOR NON-ARRIVAL OF GODS ____246. King Pradeshi presenting a new (different) argument before o Keshi Kumar Shraman said___ “Reverend Sir ! Your argument (logic) and example is a product of intellect alone (It is a product of imagination) Kindly listen my statement (based on fact)-I had a grandmother. She was a religious lady in this very Seyaviya town. She was spending her life strictly following religious code of conduct She knew well Jiva (soul), Ajiva (matter) and other such principles (Tattvas) and was following religious conduct of a householder upto observing austerities (Tapa). She was a Shramanopasika (devotee of religious order). According to your view point, she must have accumulated auspicious karmas and so after her life-span would have taken re केशीकुमार श्रमण और प्रदेशी राजा (325) Keshi Kumar Shraman and King Pradeshi Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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