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ॐ क्योकि छद्मस्थ (अल्पज्ञ) मनुष्य इन दस वस्तुओ को उनके सर्व भावो-पर्यायों ॐ सहित जानते-देखते नही हैं। यथा (उनके नाम इस प्रकार हैं)-(१) धर्मास्तिकाय,
(२) अधर्मास्तिकाय, (३) आकाशास्तिकाय, (४) अशरीरी (शरीररहित) जीव,
(५) परमाणु पुद्गल, (६) शब्द, (७) गध, (८) वायु, (९) यह जीव भविष्य में जिन होगा ॐ अथवा नही होगा, और (१०) यह समस्त दुःखों का अन्त करेगा या नहीं करेगा। 3किन्तु ज्ञान-दर्शन के धारक (केवलज्ञानी, केवलदर्शी, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी), अर्हन्त, जिन,
केवली इन दस बातों को उनकी समस्त पर्यायों सहित जानते-देखते हैं, यथा-धर्मास्तिकाय यावत् सर्वदुःखो का अन्त करेगा या नहीं करेगा। इसलिए प्रदेशी ! तुम यह श्रद्धा करो कि जीव अन्य है और शरीर अन्य है। जीव और शरीर एक नहीं हैं। किन्तु छमस्थ उसे नहीं देख पाता।"
(b) Keshi Kumar Shraman said "O King ! The wind has shape upto a physical body and still you cannot see it, then how can you
like an amla-fruit place on the palm hand, the soul which is beyond * senses and non-physical. So It is because a person who does not have perfect knowledge
cannot see ten substances completely and all of their modes (forms). They are as under—(1) Dharmastikaya—The substance that
passively assists in motion, (2) Adharmastikaya-The substance * that passively assists in taking rest, (3) Akashastikaya-The space, a (4) Ashareeri Jiva-Soul without the gross body, (5) Parmanu
pudgal—The atom that cannot be further divided, (6) Shabd—The * sound molecules, (7) Gandh-The molecules of fragrance,
(8) Vaayu-The wind, the air, (9) Whether this Jiva (soul) shall become Jin-possessor of perfect knowledge in future or not, and (10) Whether this soul (Jiva) will completely finish all the karmas or not.
The omniscient Arhant, who possesses perfect knowledge and Ka perfect perception know all these things and all their modes. So Ke king Pradeshi ! You should believe that soul is different from the
body and that they are not the same entity. But one who is not 19 having perfect perception cannot see it."
विवेचन-इस सूत्र मे वायुकायिक जीवो के उल्लेख द्वारा ससारी जीवो का स्वरूप बताया है कि सभी ससारी जीव सूक्ष्म और बादर (स्थूल) इन दो प्रकारो मे से किसी न किसी एक प्रकार वाले होते हैं। सूक्ष्म
ODARA १०.
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रायपसेणियसूत्र
(374)
Rar-paseniya Sutra
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