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चित्र परिचय-१७
Illustration No. 17
हाथी और चींटी में आत्मा समान है राजा प्रदेशी ने शका की- 'आप कहते है, सबमे आत्मा समान है, किन्तु हाथी और चीटी मे आत्मा समान कैसे सम्भव है?"
केशीकुमार श्रमण ने उदाहरण दिया
"(१) जैसे किसी कूटाकारशाला के मध्य मे दीपक जलाने पर उस दीपक का प्रकाश शाला के पूरे भाग को प्रकाशित कर देता है।
(२) उस दीपक को यदि धातु के पिटारे से ढंक दे तो वह दीपक केवल पिटारे के भीतरी भाग को ही प्रकाशित करेगा न? अर्थात् दीपक का प्रकाश सीमित हो जाता है।
(३) उसी प्रकार शरीर के आकार के कारण आत्म प्रदेशो का सकोच और विस्तार होता है-यह आत्मा का स्वभाव है।"
-सूत्र २६५, पृष्ठ ३७५-३७९
SOULS OF ELEPHANT AND ANT ARE SAME King Pradeshi expressed his doubt, "You say that soul is similar in all beings but how is it possible that souls of an elephant and an ant are similar ?"
Keshi Kumar Shraman explained with an example
"(1) Imagine a lamp is lit in a secret room Its glow spreads all around the room
(2) Now cover that lamp with a metal basket Isn't the glow of the lamp now limited only to the inner part of the basket ? In other words the light of the lamp gets confined
(3) In the same way the space-points of soul shrink and expand according to the shape and size of the body, this is the basic nature of soul"
-Sutra 265, pp 375-379
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