________________
(3) दृढ़प्रतिज्ञकुमार (3) DRIDH PRATIJNA KUMAR
सूर्याभदेव का भावी जन्म __ २७९. (क) तए णं से सूरियाभे देवे अहुणोववन्नए चेव समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं गच्छति, तं.-१. आहारपजत्तीए, २. सरीरपजत्तीए, ३. इंदियपजत्तीए, ४. आण-पाणपज्जत्तीए, ५. भास-मणपज्जत्तीए।
तं एवं खलु भो ! सूरियाभेणं देवेणं दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुती दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमनागए।
सूरियाभस्स णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिती पण्णता ? ___गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाई ठिइ पण्णत्ता।
२७९. (क) (सूर्याभ विमान की उपपात सभा में) तत्काल उत्पन्न हुआ वह ॐ सूर्याभदेव पॉच पर्याप्तियों से पूर्ण हुआ। वे पर्याप्तियाँ इस प्रकार हैं-(१) आहारपर्याप्ति, 9 (२) शरीरपर्याप्ति, (३) इन्द्रियपर्याप्ति, (४) श्वासोच्छ्वासपर्याप्ति, (५) भाषा-मनःपर्याप्ति।
(पर्याप्ति के विषय में विशेष वर्णन सूत्र १८६ के विवेचन में देखें।) ___“हे गौतम ! इस प्रकार उस सूर्याभदेव ने यह दिव्य देवऋद्धि, दिव्य देवधुति और दिव्य देवानुभाव-देवप्रभाव उपार्जित किया है, प्राप्त किया है और अधिगत-स्वाधीन किया है।" गौतम ने पूछा- “भदन्त ! उस सूर्याभदेव की आयुष्य स्थिति कितने काल की है ?" ।
भगवान ने उत्तर दिया-“गौतम । उसकी आयुष्य स्थिति चार पल्योपम की है।" THE NEXT LIFE OF SURYABH DEV
279. (a) The newly born Suryabh Dev completed five Paryapties (completion of energies). They are as under—(1) Aahar Paryapti (completion of initial stage), (2) Shareer Paryapti (completion of body), (3) Indriya Paryapti (development of sense-organs), (4) Shvasochhvas Paryapti (development of inhaling and exhaling of breath), (5) Bhasha-Manah Paryapti (development of skill of speaking and of mind). (For detailed description see aphorism 186.)
रायपसेणियसूत्र
(406)
Rai-paseniya Sutra
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org