Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 472
________________ * ___"O Gautam ! Thus Suryabh Dev got unique celestial wealth, unique godly brightness and unique heavenly influence." ___Gautam asked—“Bhagavan ! What is the total life-span of Suryabh Dev ?" ___Bhagavan Mahavir replied—“Gautam ! His life-span is four palyopam.” (ख) से णं सूरियाभे देवे ताओ लोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिति कहिं उववज्जिहिति ? ___ गोयमा ! महाविदेहे वासे जाणि इमाणि कुलाणि भवंति, तं.-अड्डाइं दित्ताई विउलाई विच्छिण्णविपुलभवण-सयणासण-जाण-वाहणाई बहुधण बहुजातरूव-रययाई आओग-पओगसंपउत्ताइ विच्छड्डियपइरभत्तपाणाइं बहुदासी-दास-गो-महिसगवेलगप्पभूयाई बहुजणस्स अपरिभूयाई, तत्थ अन्नयरेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पच्चाइस्सइ। (ख) गौतम "भगवन् ! आयुष्य और भवस्थिति पूर्ण होने एवं स्थिति क्षय होने के पश्चात् वह सूर्याभदेव उस देवलोक से च्यवन करके कहाँ जायेगा, कहाँ उत्पन्न होगा?" । ____ भगवान-“गौतम ! महाविदेह क्षेत्र में जो कुल आढ्य-धन-धान्य से समृद्ध हैं, दीप्त प्रभावशाली हैं, विपुल-बडे कुटुम्ब वाले भरे-पूरे परिवार वाले हैं, बहुत से भवनों, ॐ शय्याओं, आसनों और यानवाहनों के स्वामी हैं, बहुत से धन, सोने-चाँदी के अधिपति हैं, ॐ अर्थोपार्जन के व्यापार-व्यवसाय में लगे हुए हैं एवं जिनके यहाँ से दीन-अनाथ जनों को प्रचुर मात्रा में भोजन-पान प्राप्त है, जिनके पास सेवा करने के लिए बहुत से दास-दासी रहते हैं, गाय, भैंस, भेड़ आदि अनेक प्रकार का विपुल पशुधन है और जिनका बहुत से लोगों द्वारा भी पराभव-तिरस्कार नहीं किया जा सकता ऐसे समर्थ हैं। उन प्रसिद्ध सम्पन्न कुलों में से किसी एक कुल में वह पुत्ररूप में उत्पन्न होगा।" (b) Gautam asked—“Reverend Sir ! After completing his lifespan and godly state, where shall that Suryabh Dev be re-born ?" ____Bhagavan replied—“Gautam ! In Mahavidheh area there are many families which are prosperous (Aadhya), influential (Deepta), large-having many members, many buildings, many beds, many seats and many vehicles. They own great wealth, gold and silver. They are engaged in trade and business. They have many servants both male and female. The poor and orphans get * दृढ़प्रतिज्ञकुमार (407) Dridh Pratuna Kumar * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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