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| चित्र परिचय-२०
Illustration No. 20
विषाक्त भोजन दुष्ट वृत्ति धारण किये रानी सूर्यकान्ता ने सोचा-'मेरे षड्यत्र का भडा फूटे इससे पहले ही विषयक्त भोजन देकर राजा को खत्म कर देना चाहिए। यह सोचकर उसने पारणे हेतु राजा के लिए बने भोजन मे तीव्र जहर मिला दिया। राजा के वस्त्र, आभूषण, मुकुट एव फूल माला मे भी तीव्र जहरीला पदार्थ मिला दिया। अनजान राजा ने जैसे ही भोजन ग्रहण किया उसके शरीर मे तीव्र वेदना और दाह उत्पन्न हो गया। उसने समझ लिया-मुझे भोजन मे जहर दिया गया है, किन्तु फिर भी किसी पर द्वेष नही किया, शरीर की ममता से मुक्त रहकर समभावो मे रमण करते हुए परम शान्तिपूर्वक शरीर त्यागकर वह सौधर्म देवलोक की पुष्प-शय्या मे उत्पन्न हुआ। वहाँ सूर्याभदेव बना। देव-देवियो ने नवोत्पन्न देव का अभिनन्दन किया।
-सूत्र २७७-२७८, पृष्ठ ४०२-४०५
POISONOUS FOOD With evil intent queen Suryakanta thought—'Lest my conspiracy gets exposed, I should kill the king by feeding him poisonous food, With these thoughts she mixed a deadly poison in the food cooked for the king's breakfast As soon as the ignorant kıng ate the food he suffered acute pain and burning sensation He understood that he has been poisoned In spite of this he had no feeling of aversion for anyone He abandoned all attachment for his body and dwelt in equanimous thoughts He abandoned his earthly body in extreme peace and reincarnated as Suryabh Dev in the flower bed in the Saudharm heaven The gods and goddesses greeted the newborn god
-Sutras 277-278, pp 402-405
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