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___ “भदन्त । आप द्वारा दी गई यह उपमा तो बुद्धि की चतुरता है, इससे मेरे मन में जीव
और शरीर की भिन्नता का विचार युक्तियुक्त प्रतीत नहीं होता है। क्योंकि मैंने ऐसा अनुभव किया है किसी समय मैं अपनी बाहरी उपस्थानशाला में गणनायक आदि के साथ बैठा था। तब मेरे नगर-रक्षकों ने चोरी के प्रमाणों के साथ एक चोर पुरुष को उपस्थित किया। मैंने तुरन्त उस पुरुष को प्राणरहित कर दिया, मार डाला और मारकर एक लोहकुंभी में डलवार दिया, मजबूत ढक्कन से ढॉक दिया और अपने विश्वासपात्र पुरुषों को रक्षा के लिए नियुक्त
कर दिया। ॐ इसके बाद किसी दिन मैं उस कुंभी के पास गया। उस लोहकुंभी को उघाडकर देखा, तो
वह कृमियों (कीडों) से भरी हुई थी। लेकिन उस लोहकुंभी में न तो कोई छेद हुआ था, न 2) कोई दरार पड़ी थी कि जिसमे से वे जीव बाहर से उसमें प्रवेश कर सकें। यदि उस लोहकुंभी ॐ में कोई छेद होता, दरार होती तो मैं यह मान लेता कि वे जीव उसमें से होकर कुंभी में
प्रविष्ट हुए हैं और तब मैं श्रद्धा कर लेता कि जीव अन्य है और शरीर अन्य है। लेकिन जब उस लोहकुंभी मे कोई छेद आदि नहीं हुआ, फिर भी उसमें जीव प्रविष्ट हो गये। अतः मेरा यह विश्वास है कि जीव और शरीर एक ही हैं। अर्थात् इस शरीर से भिन्न जीव नामक कोई तत्त्व नहीं है।" EXAMPLE OF NARROW NECKED IRON PCT ___250. At this reply of Keshi Kumar Shraman, king Pradeshi put up another argument in this manner
“Reverend Sir ! The illustration given by you is a product of developed intellect. This illustration does not give rise to the belief in my mind that soul and body are different. It is because I have experienced, that once I was sitting in my outer council-hall with my staff and others. Then my security guards of the town presented
before me a thief with evidence of his guilt. I made him lifeless at 9 once. I killed him and thereafter put him in a narrow necked big
iron pot. I covered it with a strong lid and appointed my trusted a men to guard it.
Thereafter, one day I came near that pot. I then found it full of * ants. There was no hole nor any hair-line gap in it through which o those insects could go inside. In case there had been any hole or
hair-line gap in the pot, I could believe that the insects (Jiva) have 29 entered through that gap. I could then believe that soul and body रायपसेणियसूत्र
Rai-paseniya Sutra
DDARPANDARDARODR2008061654580640556koska.ske.ske.
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