Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 405
________________ जम्हा णं भंते ! तस्स पुरिसस्स जीवंतस्स वा तुलियस्स मुयस्स वा तुलियस्स नत्थि केइ * अन्नत्ते वा लहुयत्ते वा तम्हा सुपतिट्ठिया मे पइन्ना जहा-तं जीवो तं चेव। २५६. इसके उत्तर मे प्रदेशी राजा ने केशीकुमार श्रमण से कहा* “हे भदन्त ! आपकी यह उपमा वास्तविक नहीं है, इससे जीव और शरीर की भिन्नता नहीं * मानी जा सकती है। लेकिन जो प्रत्यक्ष कारण मैं बताता हूँ, उससे यही सिद्ध होता है कि जीव * और शरीर एक ही है। वह कारण इस प्रकार है-हे भदन्त ! किसी एक दिन मै गणनायक, दंडनायक आदि के साथ बाहरी उपस्थानशाला में बैठा था। उसी समय मेरे नगर-रक्षक कोतवाल चोर को पकड़कर लाये। तब मैंने उस पुरुष को जीवित अवस्था में तोला। तोलकर फिर मैंने उसके अंग-भंग किये बिना ही उसको जीवनरहित कर दिया-मार डाला और मारकर फिर मैंने उसे तोला। उस पुरुष का जीवित रहते जो तोल था उतना ही मरने के बाद था। जीवित रहते और मरने के बाद के तोल में मुझे किसी भी प्रकार का अन्तर-न्यूनाधिकता दिखाई नहीं दी, न उसका भार बढा और न कम हुआ, न वह भारी हुआ और न हल्का हुआ। इसलिए हे भदन्त ! यदि उस पुरुष के जीवितावस्था के वजन से मृतावस्था के वजन में किसी प्रकार की न्यूनाधिकता हो जाती, यदि हल्कापन आ जाता तो मै इस बात पर श्रद्धा कर लेता कि जीव अन्य है और शरीर अन्य है; जीव और शरीर एक नहीं हैं। * लेकिन मैंने उस पुरुष के जीवित और मृत अवस्था मे किये गये तोल में किसी प्रकार की भिन्नता, न्यूनाधिकता यावत् लघुता नहीं देखी। इस कारण मेरा यह मानना युक्तिसंगत * है कि जो जीव है वही शरीर है और जो शरीर है वही जीव है किन्तु जीव और शरीर * भिन्न-भिन्न नहीं हैं।" 256. In reply king Pradeshi said, "Sir ! Your this example is not factual. From it, it cannot be concluded that soul and body are different. But I tell you the * distinct cause of it that proves, that soul and body are one and the the same. That reason is as under-Once I was sitting in the outer council-hall when my guard of the town brought a thief to me. Then I weighed him when he was alive. Thereafter I killed him, made * him lifeless without breaking the parts of his body. I weighed him again. Air weight was the same as earlier when he was alive. I did not find any difference in the two—weight before death and weight after death. Neither his weight increased nor his weight reduced. See Neither he became heavier nor he became lighter than before. So, le रायपसेणियसूत्र Rar-paseniya Sutra *** (354) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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