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* FOUR TYPES OF DEALERS
263. (a) After listening to the feelings expressed by king * Pradeshi, Keshi Kumar Shraman said____ “Do you know how many types are of the dealers ? O Pradeshi !"
Pradeshi replied—“Yes Sir ! I know that the dealers are of four types—(1) Firstly the one who gives in charity but does not speak sweet words with it. (2) Secondly the one who satisfies others with
his words but does not give anything. (3) Thirdly the one who gives to in charity and also speaks palatable words. (4) Fourthly one who neither gives any thing nor speaks palatable words.”
(ख) जाणासि णं तुमं पएसी ! एएसिं चउण्हं पुरिसाणं के ववहारी के अव्यवहारी ? हंता जाणामि। (१) तत्थ णं जे से पुरिसे देइ णो सण्णवेइ, से णं पुरिसे ववहारी। (२) तत्थ णं जे से पुरिसे णो देइ सण्णवेइ, से णं पुरिसे ववहारी। (३) तत्थ णं जे से पुरिसे देइ वि सन्नवेइ वि से पुरिसे ववहारी। (४) तत्थ णं जे से पुरिसे णो देइ णो सन्नवेइ से णं अव्ववहारी।
एवामेव तुमं पि ववहारी, णो चेव णं तुमं पएसी अव्ववहारी। * (ख) केशीकुमार श्रमण-“प्रदेशी ! तुम जानते हो कि इन चार प्रकार के व्यक्तियो मे * से कौन व्यवहारकुशल है और कौन व्यवहारशून्य है?'
प्रदेशी-“हाँ, भदन्त । जानता हूँ। ७ (१) इनमें से जो पुरुष देता है, किन्तु प्रीतिजनक मधुर संभाषण नहीं करता, वह के व्यवहारी है।
(२) जो पुरुष देता नही किन्तु सम्यक् संभाषण बातचीत से सतोष उत्पन्न करता है, धीरज बॅधाता है, वह व्यवहारी है। ___ (३) जो पुरुष देता भी है और शिष्ट, मधुर वचन भी कहता है, वह व्यवहारी है। ___ (४) किन्तु जो न देता है और न मधुर वाणी बोलता है, वह अव्यवहारी-व्यवहारशून्य है।"
केशीकुमार श्रमण-"उसी प्रकार हे प्रदेशी ! (मैं मानता हूँ) तुम भी व्यवहारी हो, । अव्यवहारी नहीं हो। अर्थात् तुमने मेरे साथ यद्यपि शिष्ट जनोचित मधुर वाग्-व्यवहार नहीं रायपसेणियसूत्र
Rar-paseniya Sutra
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(370) FORYHORTHORNORM
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