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चित्र परिचय-१०
Illustration No. 10
नरक से नहीं आने के चार कारण केशीकुमार श्रमण राजा प्रदेशो से कहते है- “राजन् । चार कारणो से नारकी जीव चाहते हुए भी १ वहाँ से निकलकर आ नही सकते। वे कारण इस प्रकार है
(१) क्षेत्र सम्बन्धी वेदना-वहाँ से निकलने का प्रयत्न करने पर क्षेत्रीय पर्यावरण के प्रभाव से उनके * अगोपाग टूट टूटकर बिखर जाते है जिससे वे निकल ही नही सकते।
(२) नरकपाल-परमाधार्मिक देव उन्हे वहाँ से निकलने नहीं देते, रोक लेते है।
(३) वेदनीय कर्म का भोग-बँधा हुआ वेदनीय कर्म उन्हे मकडी के जाल में फंसे कीडे की तरह रोके रखता है, निकलने नही देता।
(४) आयुस्थिति-नरक की आयुस्थिति पूर्ण होने से पहले आयुष्य कर्म बेडियो की तरह उनका बन्धन बना रहता है।"
-सूत्र २४५ का विवेचन, पृष्ठ ३३०-३३५
FOUR REASONS FOR INABILITY TO LEAVE HELL Keshi Kumar Shraman said to King Pradeshi—“O King Following are the four reasons that do not allow the hell beings to leave hell even when they have a desire to do som
(1) Area-specifc Torments-When trying to leave hell the effect of atmosphere breaks the body into parts making it impossible to leave
(2) The Guards of the Hell—The Paramadharmık gods stop them and do not allow them to leave ___(3) The Fruition of Vedniya Karmas-The bondage of acquired Vedniya Karmas traps them like an insect in a spider's web and does not allow them to leave
(4) Life-span-As long as the acquired life-span in the hell does not come to an end the Ayushya-karma acts as the bondage of shackles”
- Elaboration of Sutra 245, pp 330-335
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