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सूत्र पाठ मे 'करणपहाणे' एव 'चरणप्पहाणे' पद मे 'करण' और 'चरण' शब्द करणसत्तरी और चरणसत्तरी के बोधक है। इन दोनों का तात्पर्य है-करण के सत्तर भेद और चरण के सत्तर भेद के ज्ञाता और पालन करने वाले।
प्रयोजन होने पर साधु जिन नियमो का सेवन करते है उन्हे 'करण' अथवा 'करण-गुण' कहते है कि और जिन नियमो का निरन्तर आचरण किया जाता है, वे 'चरण' अथवा 'चरण-गुण' कहलाते है। ___ करण के सत्तर भेद इस प्रकार है
"पिंडविसोही समिइ, भावण पडिमा य इन्दियनिरोहो।
पडिलेहण गुत्तीओ, अभिग्गहा चेव करणं तु॥" -ओघनियुक्ति, गा ३ __(१-४) आहार, वस्त्र, पात्र और शय्या की शुद्ध गवेषणा, (५-९) पाँच समिति, (१०-२१)
अनित्य आदि बारह भावनाएँ, (२२-३३) बारह प्रतिमाएँ, (३४-३८) पाँच इन्द्रियो का निग्रह, (३९-६३) पच्चीस प्रकार की प्रतिलेखना, (६४-६६) तीन गुप्ति, एव (६७-७०) चार प्रकार के अभिग्रह पिड, वस्त्र, पात्र और शय्या से सम्बन्धित, ये करण-गुण के सत्तर भेद है। इसे करणसत्तरी , कहते है। __ चरण के सत्तर भेद इस प्रकार है
"वय समणधम्म संजम, वेयावच्चं च बम्भगुत्तीओ।
णाणाइ तियं तवं, कोहनिग्गहाई चरणमेयं॥" - ओघनियुक्ति, गा. २ __(१-५) पाँच महाव्रत, (६-१५) क्षमा आदि दस श्रमणधर्म, (१६-३२) सत्रह प्रकार का सयम, (३३-४२) आचार्य आदि का दस प्रकार का वैयावृत्य, (४३-५१) नौ ब्रह्मचर्य-गुप्तियाँ, (५२-५४) ज्ञान, दर्शन, चारित्र की आराधना, (५५-६६) बारह प्रकार का तप, (६७-७०) क्रोधादि चार कषायो का निग्रह।
Elaboration Introduction of Keshi Kumar Shraman-According to historians, Keshi Kumar Shraman who gave scriptural knowledge king Pradeshi was the fourth Acharya in the order of Bhagavan Parshvanath. The first in the order was Acharya Shubh Datt, the first ganadhar. He was succeeded by Haridatt Suri who defeated famous Acharya Lohit, master of Vedant philosophy in scriptural dialogue and then brought him and his five hundred disciples to Parshvanath order. Those saints moved in Saurashtra, Andhra Pradesh (Tailang) and spread 2 Jain thought effectively. The third in the order was Acharya Samudra Suri. In his period, a greet influential preceptor Videshi' had given scriptural discourse to king Jaysen, queen Anang Sundari and prince Keshi and converted them into mendicants.
In Agam literature Keshi Shraman is mentioned in two Agams namely Raj-prashneeya and Uttaradhyayan. Is Keshi mentioned in theme
केशीकुमार श्रमण और प्रदेशी राजा
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Kesh Kumar Shraman and King Pradeshi
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