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इसके बाद वह अतिविशाल परिषद्-जनसमूह केशीकुमार श्रमण से धर्मदेशना सुनकर एवं हृदय में धारण कर-मनन कर अपने-अपने घरों को वापस लौट गया। SCRIPTURAL DISCOURSE OF KESHI KUMAR SHRAMAN
219. Finding Chitta Saarthi and a huge gathering, present there, Keshi Kumar Shraman explained to them the philosophy underlying four-folded Dharma. The four folds or four vows are as under___ (1) To avoid all types of violence, (2) To avoid all types of falsehood, (3) To avoid all types of stealing tendency, (4) To avoid accumulation of all types of wealth including women.
The gigantic gathering carefully heard the spiritual discourse, studied it mentally and then dispersed.
विवेचन-प्रथम तीर्थंकर और अन्तिम तीर्थंकर के समय में पच महाव्रत धर्म का उपदेश किया जाता है, बाकी मध्य के बावीस तीर्थंकरो के शासन में चार महाव्रत रूप चातुर्याम धर्म का प्रवर्तन होता है। इस युग में स्त्री और धन-सम्पत्ति को एक ही मानकर चतुर्थ महाव्रत मे ही पाँचवे अपरिग्रह महाव्रत का समावेश मान लिया जाता है। इस प्रकार केवल व्याख्या मे अन्तर है, नियमो मे कोई अन्तर नही है। चातुर्याम धर्म मे भी अखण्ड ब्रह्मचर्य और समस्त परिग्रह-त्याग की साधना की जाती है। (विशेष वर्णन के लिए देखे उत्तराध्ययनसूत्र, २३वॉ अध्ययन)
Elaboration-During the period of first and last Tirthankar the five-fold Dharma is propagated while during the period of twenty two Tirthankars of the intervening period, four-fold Dharma is propagated. In this period wealth and women are considered one and so the fifth vow merges in the fourth one. Thus the difference is only in elaboration. There is no difference in principles or restraints. In four-fold Dharma also strict Brahmacharya (celibacy) and complete non-attachment to material wealth is observed. (For detailed description see Uttaradhyayan Sutra, Ch. 23) __ २२०. तए णं से चित्ते सारही केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धर्म सोच्चा निसम्म हट्ट जाव हियए उट्ठाए उडेइ, उठेत्ता केसि कुमारसमणं तिक्खुत्तो आयाहिणं-पयाहिणं करेइ, वंदइ नमसइ, नमंसित्ता एवं वयासी
सहहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं। पत्तियामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं। रोएमि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं।
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रायपसेणियसूत्र
PAYTOPHARMONYMORYTORY
Rai-paseniya Sutra
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