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Then Keshi Kumar Shraman said to Chitta Saarthi—“O Chitta ! * Your Seyaviya city may be extremely grand, but king Predeshi is its
ruler. He is very irreligious upto inspires people for irreligious activities. His nature is irreligious. He runs his livelihood with
irreligious actions. He is true representative of sin personified. He is a cheat. He instigates thieves. He takes illegal gratification. He deceives to others. He has crooked mind. He is treacherous. He some how or other
creates troubles for others. He kills two-legged and quadruped like deer, animals, birds and snakes. He turns them lifeless destroys them and therefore, he is irreligious. He receives taxes from the people but does not look after them nor does he provide proper security to them. So OChitta ! How can I came to Seyaviya city ?”
२२७. तए णं से चित्ते सारही केसि कुमारसमणं एवं वयासीकिं णं भंते ! तुब्भं पएसिणा रन्ना कायव्वं ?
अस्थि णं भंते ! सेयवियाए नगरीए अन्ने बहवे ईसर-तलवर जाव सत्थवाहपभिइओ जे णं देवाणुप्पियं वंदिस्संति नमंसिस्संति जाव पज्जुवासिस्संति विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं पडिलाभिस्संति, पाडिहारिएण पीढ-फलग-सेज्जा-संथारेणं उवनिमंतिस्संति।
तए णं से केसी कुमारसमणे चित्तं सारहिं एवं वयासी-अवि या इं चित्ता ! जाणिस्सामो। ____२२७. यह उत्तर सुनकर चित्त सारथी ने केशीकुमार श्रमण से निवेदन किया
"हे भदन्त । आपको प्रदेशी राजा से क्या करना है-क्या लेना-देना है?'
“भगवन् । सेयविया नगरी में दूसरे राजा, ईश्वर, तलवर यावत् सार्थवाह आदि बहुत से जन है, जो आप देवानुप्रिय को वदन करेगे, नमस्कार करेंगे यावत् आपकी पर्युपासना करेंगे। श्रमणों को विपुल अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य आहार से प्रतिलाभित करेगे तथा प्रातिहारिक पीठ, फलक, शय्या, सस्तारक ग्रहण करने के लिए उपनिमंत्रित करेंगे अर्थात् प्रार्थना करेंगे।"
तब केशीकुमार श्रमण ने चित्त सारथी से कहा-“हे चित्त ! तुम्हारा आमंत्रण ध्यान में रहेगा।"
227. At this reply, Chitta Saarthi pleaded to Keshi Kumar Shraman—"Reverend Sir ! Of what concern is king Pradeshi to you ? You have nothing to do with him.” केशीकुमार श्रमण और प्रदेशी राजा
( 283 ) Kesh Kumar Shraman and King Pradeshi
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