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deeper and deeper in gaining knowledge, faith and ascetic conduct, (55-66) twelve types of austerities, (67-70) control of four passions namely anger and others.
-Oagh Niryukti, Aphorism 2 जनसमूह का दर्शनार्थ जाना
२१४. (क) तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउमुहमहापहपहेसु महया जणसद्दे इ वा जाणबूहे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणउम्मी इ वा जणउक्कलिया इ वा जणसनिवाए इ वा जाव (बहुजणो अण्णमण्णं एवं
आइक्खइ एवं भासेइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ) एवं खलु देवाणुप्पिया ! पासावच्चिज्जे * केसी नाम कुमारसमणे जाइसंपन्ने जाव गामाणुगामं दूइज्जमाणे इह मागए, इह संपत्ते,
इह समोसढे, इहेव सावत्थीए नयरीए बहिया कोट्ठए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ।।
२१४. (क) उस समय (केशीकुमार श्रमण का पदार्पण होने के पश्चात्) श्रावस्ती नगरी * के शृगाटकों, त्रिको, चतुष्कों, चत्वरों, चतुर्मुखों, राजमार्गों और छोटे मार्गो (गलियों) में * लोग आपस में चर्चा करने लगे, लोगों के झुण्ड इकट्ठे होने लगे, लोगों के बोलने की घोंघाट
सुनाई पडने लगी, जन-कोलाहल होने लगा, भीड के कारण रास्ते चलते लोग आपस मे टकराने लगे, एक के बाद एक लोगों के टोले आते दिखाई देने लगे (इधर-उधर से आकर लोग एक स्थान पर इकट्ठे होने लगे, बहुत से लोग परस्पर एक-दूसरे से कहने लगे)"हे देवानुप्रियो ! जाति आदि से सम्पन्न-पापित्य केशीकुमार श्रमण विहार करते हुए, विचरते हुए आज यहाँ आये है। नगर में पधार गये हैं और इसी श्रावस्ती नगरी के बाहर कोष्ठक चैत्य में यथारूप-(साधु-मर्यादा के अनुरूप) अवग्रह-आज्ञा लेकर संयम एवं तप से आत्मा को भावित करते हुए विचर रहे हैं।" ARRIVAL OF PUBLIC FOR SEEING THE SAINT
214. (a) At that time (when Keshi Kumar Shraman had arrived), the people started collecting and discussing among themselves, at triangular paths, places where three, four or more roads joint, buildings having four gates, highways and streets. Their talk was creating an echo. There was a noise at their meeting at such places. Due to their gathering, the passers-by were striking against others. In People started coming from hither and. thither; and saying"O loveable of gods ! Keshi Kumar Shraman who belongs to the order of Parshvanath and who has a grand family of disciples on
SHKirat
69ROJNOR
केशीकुमार श्रमण और प्रदेशी राजा
(259)
Keshi Kumar Shraman and King Pradesh
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