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stream, of a tank or festival of a sea? There must be some such event because many kings belonging to various clans namely Ugra, Bhog, Rajanya, Ikshvaku, Jnat, Kaurav upto Ibha and their princes, many other kings, princes, noblemen, maandavik, heads of the families, the rich, the army chiefs, the traders and suchlike after taking bath, bearing auspicious symbols, wearing necklace, garlands and gemmed gold ornaments, wearing garland of eighteen strings, the semi-garland, necklace of three strings, ear-rings and strings at the mousle and having applied sandal paste on their body are going together in one direction. They are making great rejoicing, are in a happy mood echoing Shravasti town with their ecstatic movement. (The entire description may be considered to be as in Aupapatik Sutra.) Many of them are riding horses, elephants, chariots, palanquins, long palanquin and many are on foot in groups.'
After seeing this and brooding on it, Chitta Saarthi called the gate-keeper and asked
"O the blessed! Is there a festivity of Indra upto of sea voyage in Shravasti today that many people of Ugra clan, Bhog clan and others are coming out from their houses and going in one direction ?"
विवेचन - जनता का आवागमन, कोलाहल और एक ही दिशा मे हजारो लोगो का जाना देखकर चित्त सारथी जिन उत्सवो की कल्पना करता है, वे उत्सव उस युग की लोक सस्कृति की झलक प्रस्तुत करते है।
लोगो के चेहरो पर चमकता उल्लास, उत्सुकता और सुन्दर गहने, कपडे पहनकर तरह-तरह के वाहनो मे बैठकर नगर के बाहर जाने की उतावल देखकर चित्त सोचता है- 'आज कौन-सा उत्सव है ?" सूत्र मे १८ प्रकार के उत्सवो के नाम गिनाये है। इसके अतिरिक्त भी अनेक लोक - उत्सव होते होगे । उत्सव के दिन लोगो मे कितना उत्साह और उल्लास होता था और वे अपना तथा परिवार का सामूहिक मनोरजन करने के लिए कितना समय निकाल लेते थे। यह आज के भाग-दौड के युग में एक आश्चर्यजनक किन्तु अनुकरणीय जैसी बात लगती है।
निशीथसूत्र मे वर्णन है, ये महामह (उत्सव) मुख्य रूप मे आषाढ, आसोज, कार्तिक और चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन मनाये जाते थे। कुछ लोक- उत्सव अन्य तिथियो मे भी मनाये जाते थे । इन उत्सवों मे लोग आपस मे मिलकर मनपसन्द खाते-पीते, नाचते-गाते, आमोद-प्रमोद मनाते, अपने मित्रों, स्वजनो व सम्बन्धियो को इन उत्सवों पर बुलाते थे और दूर-दूर के लोग इन उत्सवो मे सम्मिलित होते थे।
रायसेणियसूत्र
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Rai-paseniya Sutra
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