________________
तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स दाहिणेणं मज्झिमाए परिसाए दस देवसाहस्सीओ, दससु भद्दासणसाहस्सीसु निसीयंति।
तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरियाए परिसाए बारसदेवसाहस्सीओ बारससु भद्दासणसाहस्सीसु निसीयंति ।
तणं तस्स सूरियाभस्स देवस्स पच्चत्थिमेणं सत्त अणियाहिवइणो सत्तहिं भद्दासणेहिं णिसीयंति ।
२०५. (क) तदनन्तर उस सूर्याभदेव की पश्चिमोत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित चार हजार भद्रासनों पर अनुक्रम से चार हजार सामानिक देव बैठे ।
उसके बाद सूर्याभदेव की पूर्व दिशा मे चार भद्रासनो पर चार अग्रमहिषियाँ बैठीं । सूर्याभदेव के दक्षिण-पूर्व दिशा में अभ्यन्तर परिषद् के आठ हजार देव आठ हजार भद्रासनों पर बैठे ।
सूर्याभदेव की दक्षिण दिशा में मध्यम परिषद् के दस हजार देव दस हजार भद्रासनों पर बैठे। सूर्याभदेव के दक्षिण-पश्चिम दिग्भाग में बाह्य परिषद् के बारह हजार देव बारह हजार भद्रासन पर बैठे |
तत्पश्चात् सूर्याभदेव की पश्चिम दिशा में सात अनीकाधिपति सात भद्रासनों पर बैठे।
SEATING OF SURYABH GOD IN COUNCIL CHAMBER
205. (a) Thereafter four thousand Saamanik gods took their seats at the earmarked places in the north-west and north-east directions.
Thereafter four agra-mahishi (four chief-queens) sat on the four Bhadrasans in the east.
In the south-east direction of Suryabh god eight thousand gods of the inner council took their respective seats on 8,000 Bhadrasans.
In the south, ten thousand gods of central council took their seat on 10,000 Bhadrasans.
In the south-west twelve thousand gods of outer council took their seats on 12,000 Bhadrasans earmarked for them.
Thereafter seven army chiefs sat on seven Bhadrasans in the
west.
रायपसेणियसूत्र
Jain Education International
(230)
For Private Personal Use Only
Rar-pasenzya Sutra
www.jainelibrary.org