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उस श्रावस्ती नगरी में प्रदेशी राजा का अन्तेवासी जैसा (अर्थात् अधीनस्थआज्ञापालक) जितशत्रु नामक राजा था, जो महाहिमवन्त पर्वत के समान प्रख्यात था। KUNALA STATE, SHRAVASTI STATE, KING JITASHATRU
210. At that time during that period, there was a state called Kunala. That was prosperous, free from fear of enemies and rich in wealth and food grains.
Shravasti was a town in Kunala state. It was prosperous, free from fear of any enemy, wealthy and extremely charming.
There was Koshthak garden at the outskirts of Shravasti town in its north-east which was very ancient upto pleasant.
King Jitashatru was the ruler of Shravasti and he was under king Pradeshi. He was famous like Maha-himavant mountain. चित्त सारथी का श्रावस्ती की ओर प्रयाण
२११. .(क) तए णं से पएसी राया अनया कयाइ महत्थं महग्धं महरिहं विउलं रायारिहं पाहुडं सज्जावेइ, सज्जावित्ता चित्तं सारहिं सद्दावेति, सद्दावित्ता एवं वयासी___ गच्छ णं चित्ता ! तुमं सावत्थिं नगरि जियसत्तुस्स रण्णो इमं महत्थं जाव पाहुडं उवणेहि, जाई तत्थ रायकज्जाणि य रायकिच्चाणि य रायनीतिओ य रायववहारा य ताई जियसत्तुणा सद्धिं सयमेव पच्चुवेक्खमाणे विहराहि त्ति कटु विसज्जिए। _तए णं से चित्ते सारही पएसिणा रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट जाव पडिसुणेत्ता तं महत्थं , जाव पाहुडं गेण्हइ, पएसिस्स रण्णो जाव पडिणिक्खमइ, सेयवियं नगरि मझमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता तं महत्थं जाव पाहुडं ठवेइ, कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी___ खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सच्छत्तं जाव चाउग्घंटे आसरहं जुत्तामेव उवद्ववेह जाव पच्चप्पिणह।
तए णं ते कोडुंबियपुरिसा तहेव पडिसुणित्ता खिप्पामेव सच्छत्तं जाव जुद्धसज्जं चाउग्घंटे आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेन्ति, तमाणत्तियं पचप्पिणंति।
२११. (क) किसी एक समय प्रदेशी राजा ने कुछ विशिष्ट प्रयोजन उपस्थित होने पर अपने विश्वासपात्र चित्त सारथी को बुलाया और महान् पुरुषों के योग्य बहुमूल्य राजाओं को देने योग्य विशिष्ट उपहार सजाया। फिर चित्त सारथी से कहा
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रायपसेणियसूत्र
(246)
Ral-paseniya Sutra
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