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चाउग्धंट आसरहं दुरूहइ, सावत्थिं नगरि मझमझेणं जेणेव रायमग्गमोगाढे आवासे तेणेव उवागच्छइ। तुरए निगिण्हइ, रहं ठवेइ, रहाओ पच्चोरुहइ। ___णहाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे जिमियभुत्तुत्तरागए वि य णं समाणे पुवावरण्हकालसमयंसि गंधव्वेहि य गाडगेहि य उवनच्चिज्जमाणे उवनच्चिज्जमाणे, उवगाइज्जमाणे उवगाइज्जमाणे, उवलालिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे इढे सद्द-फरिसरस-रूव-गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणे विहरइ।।
२१२. चित्त सारथी विदाई लेकर जितशत्रु राजा के पास से निकला और जहाँ बाह्य उपस्थानशाला थी, चार घंटों वाला अश्व-रथ जहाँ खडा किया था, वहाँ आया। आकर उस चातुर्धट अश्व-रथ पर सवार हुआ। फिर श्रावस्ती नगरी के बीचोंबीच से होता हुआ राजमार्ग पर अपने ठहरने के लिए निश्चित किये गये आवास-स्थान पर आया। वहाँ घोडों को रोका, रथ को खडा किया और नीचे उतरा। ___उसके पश्चात् (आवास पर ठहरकर) स्नान किया, बलिकर्म किया और कौतुक मंगल (प्रायश्चित्त) करके शुद्ध और राजसभा के योग्य मांगलिक वस्त्र पहने एवं अल्प भार वाले
बहुमूल्य आभूषणों से शरीर को अलंकृत किया। भोजन आदि करके तीसरे प्रहर a (मध्यान्होत्तर में) गंधों, नर्तकों और नाट्यकारों के संगीत, नृत्य और नाट्याभिनयों को
सुनते-देखते हुए तथा इष्ट-कमनीय शब्द, स्पर्श, रस, रूप एवं गंधमूलक पाँच प्रकार के मनुष्य-सम्बन्धी कामभोग भोगते हुए रहने लगा।
212. Chitta Saarthi after seeking permission to go, passed near the king and came to the outer council-hall where he had stopped the four-belled horses-driven chariot. He got into the chariot and passing through Shravasti town, he reached the rest-house on the highway earmarked for his stay. There he stopped the horse, halted the chariot and got down.
Thereafter, he took some rest and then took bath, and performed (Bali-karm) Kautik mangal (Prayashchit). He then put on the dress suited for royal assembly. He then decorated his body with lightweight costly ornaments. After taking lunch, in the afternoon, he e enjoyed music, dance and dramatic activities of the experts in e
रायपसेणियसूत्र
(252)
Rat-paseniya Sutra
Goatea
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