Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 266
________________ २०३. तत्पश्चात् सूर्याभदेव नन्दा पुष्करिणी के पास आया और पूर्व दिशावर्ती त्रिसोपान से नन्दा पुष्करिणी में उतरा, हाथ-पैरों को धोया और फिर नन्दा पुष्करिणी से बाहर निकला। निकलकर सुधर्मा सभा की ओर चलने के लिए उद्यत हुआ । 203. Thereafter he came to Nanda Pushkarni (small lake), washed his hands and then came out. He then got ready to go to Sudharma council-hall. २०४. तए णं सूरियाभे देवे चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव सोलसहि आयरक्खदेव - साहस्सीहिं, अन्नेहि य बहूहिं सूरियाभविमाणवासीहिं बेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्डीए जाव नाइयरवेणं जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छइ, सभं सुधम्मं पुरत्थिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति, अणुपविसित्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छ, सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे । २०४. इसके बाद सूर्याभदेव चार हजार सामानिक देवों यावत् परिवार सहित सोलह हजार आत्म-रक्षक देवों तथा और दूसरे भी बहुत से सूर्याभ विमानवासी देव - देवियों से घिरा हुआ सर्व ऋद्धि के साथ तुमुल वाद्य-ध्वनिपूर्वक सुधर्मा सभा की ओर आया । पूर्व दिशा के द्वार से सुधर्मा सभा में प्रवेश किया, सिंहासन के समीप आकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस श्रेष्ठ सिंहासन पर आसीन हुआ । 204. Thereafter in the company of four thousand Saamanik gods, sixteen thousand body-guard gods and their family, other gods and goddesses of Suryabh Viman, Suryabh god came towards Suryabh council-hall with all the splendour and the soft music being played. He entered the council-hall from the eastern gate, came near his throne and seated himself on it facing eastwards. सूर्याभदेव का सभा में आसन - ग्रहण २०५ (क) तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स अवरुत्तरेणं उत्तरपुरत्थिमेणं दिसिभाएणं चत्तारि य सामाणियसाहस्सीओ चउसु भद्दासणसाहस्सीसु निसीयंति । तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स पुरत्थिमिल्लेणं चत्तारि अग्गमहिस्सीओ चउसु भद्दाससु निसीयंति। तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स दाहिणपुरत्थिमेणं अब्भिंतरियपरिसाए अट्ठ देवसाहस्सीओ अट्ठसु भद्दासणसाहस्सीसु निसीयंति। सूर्याभ वर्णन Jain Education International ( 229 ) For Private Personal Use Only Description of Suryabh Dev www.jainelibrary.org

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