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the sect believing in statue worship, they are worthy of severence and worthy of worship while the opposite sect (sect not believing in statueworship), it is simply a traditional conduct of gods, their instructive habit. The gods who take birth in heaven pay due regard to their tradition and restricted behaviour. Further, in order to exhibit their faith in and respect for omniscient (Veetarag) they follow this tradition. The sect not believing in statue-worship believe that there are permanent statues in the heaven but their description is simply like the description of other parts of Viman. So the two sects interprets according to their tradition
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देव-शय्या
१७५. तस्स माणवगस्स चेइयखंभस्स पुरथिमेणं एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पण्णत्ता, अट्ठ जोयणाई आयाम-विक्खंभेणं, चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे सीहासणे पण्णत्ते, सीहासणवण्णओ सपरिवारो।
तस्स णं माणवगस्स चेइयखंभस्स पञ्चत्थिमेणं एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पण्णत्ता, अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं, चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं, सव्यमणिमया अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे देवसयणिजे पण्णत्ते।
तस्स णं देवसयणिजस्स इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, तं जहा-णाणामणिमया पडिपाया, सोवनिया पाया, णाणामणिमयाइं पायसीसगाई, जंबूणयामयाइं गत्तगाई, वइरामया संधी, णाणामणिमए विचे, रययामई तूली, लोहियक्खमया बिब्बोयणा, तवणिजमया गंडोवट्टाणया। ___ से णं सयणिजे सालिंगणवट्टिए उभओ बिब्बोयणं दुहओ उष्णते, मज्झे णयगंभीरे - गंगापुलिण-वालुया-उद्दालसालिसए, सुविरइयरयत्ताणे, उवचियखोमदुगुल्लपट्टपडिच्छायणे आईणग-रूय-बूर-णवणीय-तूलफासमउए, रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे पासादीए पडिरूवे।
१७५. उस माणवक चैत्य-स्तम्भ के पूर्व दिग्भाग में विशाल मणिपीठिका बनी हुई है, जो आठ योजन लम्बी-चौडी तथा चार योजन मोटी है। उस मणिपीठिका के ऊपर एक विशाल सिहासन रखा है। भद्रासन आदि सिंहासनों का वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए।
रायपसेणियसूत्र
(168)
Ral-paseniya Sutra
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