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अप्पेगइया देवा हिरण्णविहिं भाएंति, एवं सुवन्नविहिं भाएंति, रयणविहिं., पुप्फविहिं., फलविहिं., मल्लविहिं., चुण्णविहिं., वत्थविहिं., गंधविहिं., तत्थ अप्पेगइया देवा आभरणविहिं भाएंति !
वज्र
(ख) कितने ही देवों ने चॉदी की वृष्टि की, तो कितनेक ने सुवर्ण की, रजत की, रत्नों की, पुष्पों की, फलों की, मालाओं की, सुगंधित द्रव्यों की, सुगन्धित चूर्ण की और कितनेक देवों ने आभरणो की वर्षा की।
कितने ही देवों ने आपस में एक-दूसरे को भेंट में चाँदी के उपहार दिये। इसी प्रकार कितने ही देवों ने आपस में एक-दूसरे को स्वर्ण, रत्न, पुष्पमाला, सुगन्धित चूर्ण, वस्त्र, गंधद्रव्य आदि भेट में दिये और कितने ही देवों ने भेंट मे आभूषण दिये ।
EXCHANGE OF PRESENTS
(b) Many gods made rain of silver, rain of gold, rain of jewels, rain of Vajra gems, rain of flowers, rain of fruits, rain of garlands, rain of fragrant substances, fragrant powder and of ornaments.
Many gods exchanged gifts of silver among themselves. Many gods exchanged gifts of gold, jewels, garlands of flowers, fragrant powder, clothes, fragrant substances and many gods gave ornaments as gifts.
नृत्य-संगीत
(ग) अप्पेगइया चउव्विहं वाइतं वाइंति, तं जहा - ततं विततं घणं झुसिरं । अप्पेगइया देवा चउव्विहं गेयं गायंति, तं जहा - उक्खित्तायं पायत्तायं मंदायं यावाणं ।
अप्पेगइया देवा दुयं नट्टविहिं उवदंसेंति । अप्पेगइया विलंबियं णट्टविहिं उवदंसेंति । अप्पेगइया देवा दुयविलंबियं णट्टविहिं उवदंसेंति एवं अप्पेगइया अंचियं नटविहिं उवदंसेंतिं, अप्पेगइया देवा आरभडं भसोलं आरभड - भसोलं उप्पायनिवायपवत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भंतसंभंतणामं दिव्यं णट्टविहिं उवदंसेंति ।
अप्पेगइया देवा चउव्विहं अभिणयं अभिणयंति, तं जहा - दिट्ठतियं पाडंतियं सामंतोवणिवाइयं लोग अंतोमज्झावसाणियं ।
(ग) किन्हीं देवों ने तत, वितत, घन और झुषिर - इन चार प्रकार के वाद्यों को बजाया । सूर्याभ वर्णन
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(199)
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Description of Suryabh Dev
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