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_ अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुकय,
तोरणपडिदुवारदेसभागं करेंति। * अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं आसत्तोसत्तविउलवट्टबग्धारियमल्लदामकलावं
करेंति। __ अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं पंचवण्णसुरभिमुक्कपुष्फपुओवयारकलियं करेंति।
अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं कालागुरुपवरकुंदरुक्कतुरुक्कधूवमघमघंतगंधुद्ध्याभिरामं करेंति। ____ अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेंति।
१९२. (क) जब सूर्याभदेव का महिमाशाली अभिषेक महोत्सव हो रहा था, तब कितने ही देवों ने सूर्याभ विमान में इस प्रकार से झिरमिर-झिरमिर, विरल नन्हीं-नन्ही बूंदो में * सुगन्धित गंधोदक की वर्षा की, जिससे वहाँ की सब धूल-मिट्टी दब गयी, किन्तु जमीन पर पानी नही फैला और न ही कीचड हुआ।
कितने ही देवों ने सूर्याभ विमान को झाड-बुहारकर हतरज, नष्टरज, भ्रष्टरज, * उपशांतरज और प्रशान्तरज वाला (धूल-मिट्टीरहित) बना दिया।
कितने ही देवो ने सूर्याभ विमान की गलियो, बाजारों और राजमार्गों पर पानी छिडककर Part कचरा वगैरह झाड-बुहारकर और गोबर-मिट्टी से लीप-पोतकर साफ कर दिया।
कितने ही देवों ने मच बनाये और मचो के ऊपर मंच बनाकर सूर्याभ विमान को सजाया।
कितने ही देवों ने विविध प्रकार की रंग-बिरगी ध्वजाओं, पताकातिपताकाओं से मण्डित किया।
कितने ही देवों ने सूर्याभ विमान को लीप-पोतकर स्थान-स्थान पर सरस गोरोचन और रक्तदर्दर चन्दन हाथों में लगाकर पॉचो अँगुलियो के छापे मारे। ___ कितने ही देवों ने सूर्याभ विमान को चर्चित कलशो और चन्दन-कलशो से बने तोरणो
से सजाया। Hot कितने ही देवों ने सूर्याभ विमान को ऊपर से नीचे तक लटकती हुई लम्बी-लम्बी गोल Har मालाओं से विभूषित किया।
____ कितने ही देवो ने पचरंगे सुगधित पुष्पों को बिखेरकर, मांडने माडकर (रंगोली करके) * सूर्याभ विमान को सुशोभित किया।
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सूर्याभ वर्णन
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