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केयूराई कडगाई तुडियाई कडिसुत्तगं दसमुद्दाणंतगं वच्छसुत्तगं मुरविं कंटमुरविं पालंबं कुंडलाई चूडामणिं मउडं पिणद्धे ।
गंथिम - वेढिम - पूरिम- संघाइमेणं चउव्विहेणं मल्लेणं कप्परुक्खगं पिव अप्पाणं अलंकियविभूसियं करेइ, करित्ता दद्दर - मलय - सुगंधगंधिएहिं गायाई भुखंडेइ दिव्वं च सुमणदामं पिणद्धेइ ।
(ख) देवदूष्य युगल धारण करने के पश्चात् गले मे हार पहना, अर्धहार, एकावली, मुक्ताहार, आभूषण रत्नावली, एकावली आदि हार पहने। फिर भुजाओं में अगद, केयूर (बाजूबंद), कडा, त्रुटित, करघनी, हाथों की दशों अँगुलियो में दस अंगूठियाँ, वक्षसूत्र (लाकेट), मुरवि (मादलिया), कंठमुर्राव (कंठी), प्रालब (झुमके), कानों में कुंडल पहने तथा मस्तक पर चूड़ामणि (कलगी) और मुकुट पहना ।
इन आभूषणों को पहनने के पश्चात् ग्रन्थिम ( गूँथी हुई), वेष्टिम (लपेटी हुई), पूरिम (पूरी भरी हुई) और संघातिम (साँधकर बनाई हुई), ये चार प्रकार की मालाएँ धारण कीं, जिनसे वह कल्पवृक्ष के समान अलंकृत - विभूषित लगने लगा। तत्पश्चात् दद्दर मलय चंदन की सुगंध से सुगन्धित चूर्ण (पाउडर) शरीर पर भुरका - छिडका और फिर दिव्य पुष्पमालाएँ पहनीं ।
DECORATING WITH ORNAMENTS
(b) After wearing the godly dress, Suryabh Dev decorated himself with garland, the half-garland, the one-loop garland, the garland of pearls, the ratnawali ornament. He then put on angad, keyoor, bangle, trutit and karghani — the various types of ornaments. He put on ten rings in his fingers, an ornament on his waist a particular ornament muravee, the necklace and ear-rings. He wore a crown (mukut) and crest on his head.
After putting on the ornaments, he wore four types of garland namely-knotted, wrapped, fully beated and well jointed. He then looked like the celestial tree (Kalp Vriksh) bearing ornaments. Then he sprinkled fragrant sandal wood powder on his body. Thereafter he wore unique garlands of flowers.
सूर्याभदेव का व्यवसाय सभा में प्रवेश
१९६. ( क ) तए णं से सूरियाभे देवे केसालंकारेणं, मल्लालंकारेणं, आभरणालंकारेणं, वत्थालंकारेणं चउव्विहेणं अलंकारेणं अलंकिय - विभूसिए समाणे
सूर्याभ वर्णन
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Description of Suryabh Dev
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