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माणवगस्स णं चेइयखं भस्स उवरिं बारस जोयणाई ओगाहेत्ता, हेट्ठा वि बारस जोयणाइं वज्जेत्ता, मज्झे छत्तीसाए जोयणेसु एत्थ णं बहवे सुवण्णरूप्पमया फलगा पण्णत्ता । तेसु णं सुवण्णरूप्पासु फलएसु बहवे वइरामया णागदंता पण्णत्ता । तेसु णं वइरामएसु नागदंतेसु बहवे रययामया सिक्कगा पण्णत्ता । तेसु णं रययामएसु सिक्कएसु बहवे वइरामया गोलवट्टसमुग्गया पण्णत्ता । तेसु णं वयरामएस गोलवट्टसमुग्गएसु बहवे जिणसकहाओ संनिक्खित्ताओ चिट्ठति ।
ताओ णं सूरियाभस्स देवस्स अन्नेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ जाव पज्जुवासणिज्जाओ।
माणवगस्स चेइयखंभस्स उवरिं अट्ठट्ठ मंगलगा, झया, छत्ताइच्छत्ता ।
१७४. उस मणिपीठिका के ऊपर एक माणवक नामक चैत्य-स्तम्भ (चित्त को आनन्ददायी स्तम्भ) है। वह ऊँचाई में साठ योजन ऊँचा, एक योजन जमीन के अंदर गहरा, एक योजन चौडा और अडतालीस कोनों, अड़तालीस धारों और अडतालीस आयामोंपहलुओं वाला है। इसके अतिरिक्त शेष वर्णन माहेन्द्र ध्वज जैसा जानना चाहिए।
उस माणवक चैत्य-स्तम्भ के ऊपर बारह योजन और नीचे बारह योजन छोडकर मध्य शेष छत्तीस योजन प्रमाण भाग मे अनेक स्वर्ण और रजतमय फलक-पाटिये लगे हुए हैं। उन स्वर्ण-रजतमय फलको पर अनेक वज्रमय नागदत हैं। उन वज्रमय नागदंतों पर बहुत से रजतमय सीके लटक रहे हैं। उन रजतमय सींकों में वज्रमय गोल-गोल समुद्गक (मंजूषा - डिब्बा) रखे है । उन गोल-गोल वज्र रत्नमय समुद्गको मे बहुत-सी जिन - अस्थियाँ सुरक्षित रखी हुई है।
वे अस्थियाँ सूर्याभदेव एव अन्य देव - देवियो के लिए अर्चनीय यावत् पर्युपासनीय हैं । उस माणवक चैत्य के ऊपर आठ-आठ मगल, ध्वजाऍ और छत्रातिछत्र सुशोभित हो रहे है।
174. On that platform, there is a divine memorial post (Manavak Chaitya Stambh). It is 60 yojans high, one yojan deep in the ground and one yojan wide. It has 48 corners, 48 edges and 48 sides. The remaining description may be considered similar to that of Mahendra Dhvaj.
Many gold and silver boards are fixed in the central 36 yojans of that part, ignoring 12 yojans at the top and 12 yojans in the bottom.
रायपसेणियसूत्र
Rai-paseniya Sutra
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