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3 सुधर्मा सभावर्ती मनोगुलिकाएँ गोमानसिकाएँ
१७१. सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं मणोगुलियासाहस्सीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पुरथिमेणं सोलससाहस्सीओ, पच्चत्थिमेणं सोलससाहस्सीओ, दाहिणेणं अट्ठसाहस्सीओ, उत्तरेणं अट्ठसाहस्सीओ।
तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुवण्णरूप्पमया फलगा पण्णत्ता। तेसु णं सुवन्नरूप्पमएसु फलगेसु बहवे वइरामया णागदंता पण्णत्ता। तेसु णं वइरामएसु णागदंतएसु किण्हसुत्त वट्टवग्धारियमल्लदामकलावा चिटुंति।
१७१. सुधर्मा सभा के पूर्व दिशा में सोलह हजार, पश्चिम दिशा में सोलह हजार, दक्षिण दिशा में आठ हजार और उत्तर दिशा मे आठ हजार, यों सुधर्मा सभा मे कुल र अडतालीस हजार मनोगुलिकाएँ (छोटे-छोटे चबूतरे) हैं।
उन मनोगुलिकाओं के ऊपर अनेक स्वर्ण एव रजतमय फलक-पाटिये और उन स्वर्ण-रजतमय पाटियों पर अनेक वज्र रत्नमय नागदत (खूटियाँ) लगे है। उन वज्रमय नागदंतों पर काले सूत से बनी हुई गोल लम्बी-लम्बी मालायें लटक रही हैं। THE SEATS OF SUDHARMA COUNCIL-HALL ___171. There are in all forty eight thousand seats in the Sudharma council-hall sixteen thousand each in east and west and eight thousand each in south and north.
Many gold, silver and gemmed boards are on those seats fixed out with many Vajra gemmed pegs. Round long rosaries of black thread they are hanging from those pegs.
१७२. सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं गोमाणसियासाहस्सीओ पन्नत्ताओ। जह मणोगुलिया जाव णागदंतगा।
तेसुणं णागदंतएसु बहवे रययामया सिक्कगा पण्णत्ता। तेसु णं रययामएसु सिक्कगेसु बहवे वेरुलियामइओ धूवघडियाओ पण्णत्ताओ। ताओ णं धूवघडियाओ कालागुरुपवर जाव चिट्ठति।
१७२. सुधर्मा सभा मे अडतालीस हजार गोमानसिकायें (शय्या या पलॅग) रखी हुई हैं। नागदतों तक इनका वर्णन मनोगुलिकाओं के समान समझ लेना चाहिए।
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रायपसेणियसूत्र
(164)
Raz-paseniya Sutra
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