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CHAMBER FOR PUTTING ON ORNAMENT
183. In the north-east of coronation-hall, here is a chamber for putting on ornaments. Its description may be considered similar to that of Sudhama Sabha including platform of 8 yojans and throne along with others. Many jewellery boxes full of ornaments for use of Suryabh Dev are in that chamber. व्यवसाय सभा (पुस्तकालय)
१८४. तीसे णं अलंकारियसभाए उत्तरपुरस्थिमे णं तत्थ णं महेगा ववसायसभा पण्णत्ता, जहा उववायसभा जाव सीहासणं सपरिवारं मणिपेढिया, अट्ठ मंगलगा।
१८४. उस अलंकार सभा के ईशानकोण मे एक विशाल व्यवसाय सभा (पुस्तकालय) बनी है। उपपात सभा के अनुरूप ही यहाँ पर भी सपरिवार सिंहासन, मणिपीठिका, आठ-आठ मंगल आदि शोभित हैं। LIBRARY
184. It north-east direction of the chamber for wearing ornaments, there is a large library. The platform, seats and eight auspicious symbols in it are similar to the place of birth. पुस्तकरत्न एवं नन्दा पुष्करिणी
१८५. तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स एत्थ महेगे पोत्थयरयणे सनिक्खित्ते चिट्ठइ, तस्स णं पोत्थयरयणस्स इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, तं जहा
रिट्ठामईओ कंबिआओ, तवणिजमए दोरे, नाणामणिमए गंठी, रयणामयाइं पत्तगाई, वेरुलियमए लिप्पासणे, रिट्ठामए छंदणे, तवणिजमई संकला, रिट्ठामई मसी, वइरामई
लेहणी, रिट्ठामयाइं अक्खराइं, धम्मिए लेक्खे। ___ ववसायसभाए णं उवरि अट्ठ मंगलगा।
तीसे णं ववसायसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं नंदा पुक्खरिणी पण्णत्ता हरयसरिसा। तीसे णं गंदाए पुक्खरिणीए उत्तरपुरथिमेणं महेगे बलिपीढे पण्णत्ते सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे।
१८५. उस व्यवसाय सभा में सूर्याभदेव का विशाल श्रेष्ठतम पुस्तकरत्न रखा है। उस पुस्तकरत्न का वर्णन इस प्रकार है
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रायपसेणियसूत्र
(178)
Rai-paseniya Sutra
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