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that ocean and selected lotus of various types namely utpal, kumud, hundred-leaved, thousand-leaved lotus.
Then they came to Pushkarodak ocean. They took its water in ML pots and also took lotus of different types of that area as before.
(३) गिण्हित्ता जेणेव पुक्खरोदए समुद्दे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पुक्खरोदयं गेहंति, जाई तत्थुप्पलाई सयसहस्सपत्ताइं ताई जाव गिण्हंति। गिण्हित्ता समयखेत्ते जेणेव भरहेरवयाइं वासाइं जेणेव मागहवरदाम-पभासाइं तित्थाई तेणेव उवागच्छंति, तेणेव उवागच्छित्ता तित्थोदगं गेण्हंति, गेण्हेत्ता तित्थमट्टियं गेहंति। ___ गेण्हित्ता जेणेव गंगा-सिंधु-रत्ता-रत्तवईओ महानईओ तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सलिलोदगं गेण्हंति, सलिलोदगं गेण्हित्ता उभओकूलमट्टियं गेण्हंति। __ मट्टियं गेण्हित्ता जेणेव चुल्लहिमवंत-सिहरीवासहरपव्वया तेणेव उवागच्छंति, तेणेवर उवागच्छित्ता दगं गेण्हंति, सव्वतुयरे सव्वपुप्फे, सव्वगंधे, सव्वमल्ले, सब्बोसहिसिद्धत्थए गिण्हंति, गिण्हित्ता जेणेव पउमपुंडरीयदहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता दहोदगं गेहंति, गेण्हित्ता जाई तत्थ उप्पलाई जाव सयसहस्सपत्ताई ताइं गेण्हंति।
(३) तत्पश्चात् मनुष्य क्षेत्र में भरत-ऐरवत क्षेत्रवर्ती, मागध (लवणसमुद्रवर्ती) तीर्थ, वरदाम (लवणसमुद्र और गगा महानदी के संगम-स्थान पर स्थित वरदाम देवता का निवास-स्थान। यहाँ चक्रवर्ती अष्टम तप करते है) और प्रभास तीर्थ (प्रभास देवता के निवास-स्थान वाला तीर्थ जो लवणसमुद्र व सिंधु नदी के संगम पर है) आये और उन-उन तीर्थो के जल को भरा; वहाँ की मिट्टी ली।
इस प्रकार तीर्थोदक और मृत्तिका लेकर जहाँ गगा, सिन्धु, रक्ता, रक्तवती महानदियाँ पर थी, वहाँ आये। वहाँ आकर नदियों के जल और उनके दोनों तटों की मिट्टी ली तथा शतपत्र,
सहस्रपत्र कमल आदि लिये। ___उसके बाद चुल्लहिमवत और शिखरी वर्षधर पर्वत पर आये। वहाँ जल कलशों में भरा तथा सब ऋतुओ के उत्तम पुष्पों, गंध-द्रव्यों, पुष्प-समूहो और सर्व प्रकार की औषधियों एव सिद्धार्थकों (सरसों) को लिया और फिर पद्म द्रह एवं पुंडरीक द्रह पर आये। यहाँ कलशों में द्रह-जल भरा तथा सुन्दर श्रेष्ठ उत्पल यावत् शतपत्र, सहस्रपत्र कमलो को लिया।
(3) Thereafter, they came to Magadh Teerth (mundanese pilgrimage spot in Lavan Samudra or Salt sea). Vardaam Teerth
(situated at the conjunction of Lavan Samudra and Ganga - सूर्याभ वर्णन
Description of Suryabh Dev *
(189)
CONVOAN
MargareGOOGORIGORYSOMEOPOROTION
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