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All these lakes and wells are pleasant to the mind, worth-seeing and beautiful.
१४४. तासि णं वावीणं जाव बिलपंतीण पत्तेयं पत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि तिसोपाणपडिरूवगा पण्णत्ता, तेसि णं तिसोपाणपडिरूवगाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, तं जहा-वइरामया नेमा" तोरणाणं छत्ताइछत्ता य णेयव्वा।
१४४. उन प्रत्येक वापिकाओं यावत् कूप-पक्तियों की चारों दिशाओ में तीन-तीन सुन्दर सोपान बने हुए हैं। इन त्रिसोपान प्रतिरूपकों (तीन पगथियों की सुन्दर निसैनी) का वर्णन इस प्रकार है, जैसे-उनकी नेमें (वेदिका का ऊपरी भाग कुर्सी) वज्र रत्नों की हैं इत्यादि तोरणों, ध्वजाओं और छत्रातिछत्रों पर्यन्त इनका वर्णन पूर्ववत् समझना चाहिए। ___ 144. Three stairs each are in all the four sides of the lake. Their description is as follows-Their seats are gem-studded. The description of festoons, flags, umbrellas be considered similar to that mentioned earlier.
१४५. तासि णं खुड्डाखुड्डियाणं वावीणं जाव बिलपंतियाणं तत्थ-तत्थ तहिं-तहिं बहवे उप्पायपव्ययगा, नियइपब्वयगा, जगईपव्वयगा दारुइज्जपवयगा, दगमंडवा, दगमंचगा, दगपासायगा, दगमालगा, उसड्डा खुड्डखुड्डगा अंदोलगा पक्खंदोलगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा।
१४५. उन छोटी-छोटी वापिकाओं यावत् कूप-पक्तियों के बीच के प्रदेशों में बहुत से उत्पातार्वत, नियतिपर्वत, जगतीपर्वत, दारुपर्वत तथा कितने ही ऊँचे-नीचे, छोटे-बड़े al दकमंडप, दकमंच, दकमालक, दकप्रासाद बने हुए हैं तथा कहीं-कहीं पर झूलने के लिए * झूले-हिंडोले पड़े हैं। ये सभी पर्वत आदि सर्वरत्नमय अत्यन्त निर्मल यावत् असाधारण रूप " से सम्पन्न हैं।
145. In the area between those several lakes and rows of wells, there are many utpat mountains, niyati mountains, jagati
mountains, daru mountains and high and low, small and big, * platforms, benches, pleasure-gardens, water-palaces. At some
places there are swings also. All these mountains look totally dirtfree, unique and gemmed.
विवेचन-सूत्र में वापिकाओं आदि के अन्तरालवर्ती स्थानो मे आये हुए जिन पर्वतो आदि का वर्णन में किया है, उनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है
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रायपसेणियसूत्र
Rar-paseniya Sutra
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