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उत्पातपर्वत-ऐसे पर्वत जहाँ सूर्याभ विमानवासी देव-देवियाँ विविध प्रकार की चित्र-विचित्र * क्रीडाओ के निमित्त अपने-अपने उत्तर वैक्रिय शरीरो की रचना करते है।
नियतिपर्वत-इन पर्वतो पर सूर्याभ विमानवासी देव-देवियाँ अपने-अपने भवधारणीय (मूल) वैक्रिय O शरीरो से क्रीडा करते है।
जगतीपर्वत-इन पर्वतो का आकार कोटे-परकोटे जैसा होता है। दारुपर्वत-दारु अर्थात् काष्ठ-लकडी। लकडी से बने पर्वत जैसे आकार वाले कृत्रिम पर्वत।
दकमंडप-स्फटिक मणियो से निर्मित मडप अथवा ऐसे मडप जिनमे फुव्वारो द्वारा कृत्रिम वर्षा की रिमझिम-रिमझिम फुहारे बरसती रहती है।
दकप्रासाद-जल-महल। दकमालक-स्फटिक मणियो से बने हुए घर के ऊपरी भाग मे बने हुए कमरे-मालिये।
Elaboration—The clarification about the mountains mentioned at the intervening spaces between the lakes is as under
Utpat Mountains–Such mountains where gods of Suryabh Viman create bodies to participate in various types of sports.
Niyati Parvat-On these mountains the gods of Suryabh Dev sport veryone with their original body.
Jagati Parvat-The shape of these mountains is that of a boundary wall
Daru Parvat-These mountains are like artificial mountains made of wood.
Dak-Mandap-Ground made of crystal jewels or such areas where fountains create artificial rain and it rains slowly ____Dak-Prasad-Water-palace.
Dak-Malak-Rooms in the upper storey of this house made of crystal gems. उत्पात पर्वतों आदि की शोभा
१४६. तेसु णं उप्पाय-पव्वएसु पक्खंदोलएसु बहूई हंसासणाई, कोंचासणाई, गरुलासणाई, उण्णयासणाई, पणयासणाई, दीहासणाई, भद्दासणाई, पक्खासणाई, मगरासणाई, उसभासणाई, सीहासणाई, पउमासणाई, दिसासोवत्थियाइं सब्बरयणामयाई अच्छाइं जाव पडिरूवाइं।
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सूर्याभ वर्णन
(139)
Description of Suryabh Dev
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