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मुख्य प्रासादावतंसक का वर्णन
१६१. तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगे मूलपासायवडेंसए पण्णत्ते।
से णं मूलपासायवडेंसए पंच जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं, अड्ढाइज्जाई जोयणसयाई विक्खंभेण, अब्भुग्गयमूसिय-वण्णओ। भूमिभागो उल्लोओ सीहासणं सपरिवारं भाणियवं, अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता।
१६१. उस अत्यन्त समतल रमणीय भूमिभाग के ठीक मध्य में एक विशाल मुख्य * प्रासादावतंसक है।
___ वह प्रासादावतंसक पाँच सौ योजन ऊँचा और अढाई सौ योजन चौड़ा है तथा अपनी चारो तरफ फैल रही प्रभा से हँसता हुआ प्रतीत होता है। इसी वर्णन के साथ उस प्रासाद
के भीतर के भूमिभाग, उल्लोक-चंदेवा, परिवार रूप अन्य भद्रासनों आदि सहित सिंहासन, o आठ मंगल, ध्वजाओं और छत्रातिछत्रों का कथन यहाँ समझना चाहिए।
DESCRIPTION OF THE MAIN PALACE ___161. In the centre of that levelled attractive earth-region, there is a spacious main palace of god.
That palace is 500 yojans high, 250 yojans wide and due to its spreading area, it appears to be laughing. The description of the inner part of the palace its cloth ceiling, the main seats and other seats, auspicious eight symbols, flags and umbrellas one above the other may be considered as mentioned earlier.
१६२. (क) से णं मूलपासायवडेंसगे अण्णेहिं चउहिं पासायवडेंसएहिं तय च्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं सबतो समंता संपरिक्खित्ते, ते णं पासायवडेंसगा अड्ढाइज्जाई जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं, पणवीसं जोयणसयं विक्खभेणं जाव वण्णओ।
(ख) ते णं पासायडिंसया अण्णेहिं चउहिं पासायवडिसएहिं तयधुच्यत्तप्पमाणमेत्तेहिं सबओ समंता संपरिक्खित्ता।
तेणं पासायवडेंसया पणवीसं जोयणसयं उड्ढं उच्चत्तेणं बासढि जोयणाई अद्धजोयणं च विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय वण्णओ। भूमिभागो उल्लोओ सीहासणं सपरिवारं
भाणियब्बं अट्ठ मंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता। * सूर्याभ वर्णन
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(153)
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