________________
१३४. उन द्वारों के एक-एक द्वार पर पैंसठ-पैंसठ भौम (दरवाजे के ऊपर का भवन-मेडी) बताये हैं। यान विमान की तरह ही इन भौमों के सम रमणीय भूमि भाग और
उल्लोक (चन्देवों) का वर्णन करना चाहिए। ॐ इन भौमों के बीचोंबीच में एक-एक सिंहासन रखा है। यान विमानवर्ती सिंहासन की
तरह उसका सपरिवार वर्णन समझना चाहिए, अर्थात् उसके परिवार रूप सामानिक आदि देवों के भद्रासनों सहित इन सिंहासनो का वर्णन जानना चाहिए। शेष आसपास के भौमों में भद्रासन रखे हैं। DESCRIPTION OF STORAGE ABOVE THE GATES ___134. There are sixty five storeys above each of the gates. The description of the levelled floors and cloth ceilings of these storeys
should be considered as that of celestial aerial vehicle. 19 In the middle of these floors is a throne each. Its description
should be considered similar to that of celestial aerial vehicle and its details. In other words, like the seals of gods of equal status and the family, the description of the thrones may be understood. In nearby other pieces of land, Bhadrasans have been placed.
१३५. तेसि णं दाराणं उत्तमागारा सोलसविहेहिं रयणेहिं उवसोभिया, तं जहारयणेहिं जाव रिटेहिं। __ तेसि णं दाराणं उप्पिं अट्ठमंगलगा सज्झया जाव छत्तातिछत्ता। ___ एवमेव सपुवावरेणं सूरियाभे विमाणे चत्तारि दारसहस्सा भवंतीति मक्खायं।
१३५. उन द्वारों के ओतरंग (ऊपरी भाग पर लगा काष्ट) सोलह प्रकार के रत्नों से शोभित हैं। उन रत्नों के नाम इस प्रकार हैं-कर्केतन रत्न यावत् वज्र, वैडूर्य, लोहिताक्ष, मसारगल्ल, हंसगर्भ, पुलक, सौगन्धिक, ज्योतिरस, अंक, अंजन, रजत, अंजनपुलक, जातरूप, स्फटिक और रिष्ट रत्न।।
उन द्वारो के ऊपर स्वस्तिक आदि आठ-आठ मंगल अंकित हैं जिन पर ध्वजाएँ और तीन छत्र शोभित हैं। * इस प्रकार सूर्याभ विमान में सब मिलकर चार हजार द्वार सुशोभित हो रहे हैं। ॐ 135. The wood of the upper part of these gates is shining with
jewels of sixteen types. The names of those jewels are Karket, Vajra, सूर्याभ वर्णन
(127)
Description of Suryabh Dev
*
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org