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___इन वनखडों के वृक्ष जमीन के भीतर गहरी फैली हुई जडों से युक्त हैं, इत्यादि वृक्षों का 5 समग्र वर्णन औपपातिकसूत्र के अनुसार यहाँ करना चाहिए। 9 DESCRIPTION OF FOREST-REGIONS OF THE VIMAN
_____136. At a distance of 500 yojans on each side of Suryabh Viman, a there are four forest-regions namely—(1) Ashok forest in the east,
(2) Saptaparn forest in the south, (3) Champak forest in the west, and (4) Aamra forest in the north. ____Each of these forest-regions is a little more than 1.25 million one yojans long and 500 yojans wide. Every forest-region is covered with a boundary wall.
All the forest-regions are extremely thick and therefore appear to be black having black luster, blue having blue luster, green having green luster, of cool touch and cool aura, of smooth pleasing touch and smooth shadow. The branches and sub-branches of the trees are interlinked and therefore, because of thick shadow they appear very pleasant and good looking like cluster of clouds.
The trees of these forest-regions have deep widely spread roots. The description of the trees may be considered similar to that in Ka Aupapatik Sutra
विवेचन-औपपातिकसूत्र मे वनखड के वृक्षो का जो वर्णन किया गया है यह वर्णन-उद्यानविज्ञान और वनस्पतिविज्ञान की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। संक्षेप मे वह वर्णन इस प्रकार है____ “इन वनखडो के वृक्ष जमीन के अन्दर विस्तृत गहरे फैले हुए मूल, कन्द, स्कन्ध, त्वचा, शाखा, प्रशाखा, प्रवाल. पत्र, पुष्प, फल.बीज से यक्त है। छतरी के समान इनका रमणीय गोल आकार है। इनके स्कन्ध ऊपर की ओर उठी हुई अनेक शाखा-प्रशाखाओ से शोभित है और इतने विशाल एव वृत्ताकार (गोल) है कि अनेक पुरुष मिलकर भी अपने फैलाये हुए हाथो से उन्हे घेर नही पाते। पत्ते इतने घने है कि बीच मे जरा भी अन्तर दिखलाई नही देता है। पत्र-पल्लव सदैव नवीन जैसे दिखते है। कोपले अत्यन्त कोमल है और सदैव सर्व ऋतुओ के पुष्यो से व्याप्त है तथा झुके हुए, विशेष झुके हुए, पुष्पित, पल्लवित गुल्मित, गुच्छित (गुच्छे बने हुए), विनमित, प्रणमित झुके हुए होकर मजरी रूप शिरोभूषणो से अलकृत रहते है। तोता, मयूर, मैना, कोयल, नदीमुख, तीतर, बटेर, चक्रवाल, कलहस, बतख, सारस आदि अनेक पक्षी-युगलो के मधुर स्वरो से गूंजते रहते है। अनेक प्रकार के गुच्छों और गुल्मो (बेलो) से निर्मित मडप आदि से सुशोभित है। नासिका और मन को तृप्ति देने वाली सुगध से महकते रहते है। इस प्रकार ये सभी वृक्ष सुरम्य, प्रासादिक दर्शनीय, मनोहर एव विशिष्ट शोभा-संपन्न है।" सूर्याभ वर्णन
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Description of Suryabh Dev
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