Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan
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Lohitaksh, Masargalla, Hansagarbh, Pulak, Saugandhik, Jyotiras, Ank, Anjan, Rajat, Anjan-pulak, Jaatroop, Crystal (Sphatik) and Rist jewels.
Eight auspicious symbols namely Swastik and others are drawn on the gates. Three flags and three umbrellas and adding to their beauty.
Thus in all four thousand gates are beautifying Suryabh Viman. विमान के खंडों का वर्णन
१३६. सूरियाभस्स विमाणस्स चउद्दिसिं पंच जोयणसयाइं अबाहाए चत्तारि वणसंडा पन्नत्ता, तं जहा - असोगवणे, सत्तवण्णवणे, चंपगवणे, चूयगवणे । पुरत्थिमेणं असोगवणे, दाहिणं सत्तवन्नवणे, पच्चत्थिमेणं चंपगवणे, उत्तरेणं चूयगवणें ।
ते णं वणखंडा साइरेगाई अद्धतेरस जोयणसयसहस्साइं आयामेणं, पंच जोयणसयाई विक्खंभेणं, पत्तेयं पत्तेयं पागारपरिक्खित्ता ।
कहा किण्होभासा, नीला नीलोभासा, हरिया हरियो भासा, सीया सीयोभासा, निद्धा निद्धभासा, तिव्वा तिव्वोभासा, किण्हा किण्हच्छाया, नीला नीलच्छाया, हरिया हरियच्छाया, सीया सीयच्छाया, निद्धा निद्धच्छाया, घणकडितडियच्छाया, रम्मा महामेहनिकुरुंबभूया । ते णं पायवा मूलमंतो वणखंडवन्नओ ।
१३६. उस सूर्याभ विमान के चारों ओर पाँच सौ - पाँच सौ योजन की दूरी पर चारो दिशाओं में चार वनखंड हैं - ( १ ) पूर्व दिशा में अशोकवन, (२) दक्षिण दिशा में सप्तपर्णवन, (३) पश्चिम दिशा में चंपकवन, और (४) उत्तर दिशा में आम्रवन ।
ये प्रत्येक वनखंड साढ़े बारह लाख योजन से कुछ अधिक लम्बे और पाँच सौ योजन चौड़े हैं। प्रत्येक वनखड एक-एक परकोटे से परिवेष्टित है।
ये सभी वनखंड अत्यन्त घने होने के कारण काले और काली आभा वाले, नीले और नीली आभा वाले, हरे और हरी काति वाले, शीत स्पर्श और शीत आभा वाले, स्निग्धकमनीय और कमनीय कांति दीप्ति-प्रभा वाले, तीव्र प्रभा वाले तथा काले और काली छाया वाले, नीले और नीली छाया वाले, हरे और हरी छाया वाले, शीतल और शीतल छाया वाले, स्निग्ध और स्निग्ध छाया वाले हैं। वृक्षो की शाखा - प्रशाखाऍ आपस में एक-दूसरी से मिली होने के कारण अपनी सघन छाया से बड़े ही रमणीय तथा महामेघों के समूह जैसे सुहावने दिखते हैं।
रायपसेणियसूत्र
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Rai-paseniya Sutra
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