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92. Thereafter they exhibited their dancing skill depicting the rising moon, the rising sun.
९३. चंदागमणप. च सूरागमणप. च आगमणागमणप. च णामं
उवदंसेंति ।
९३. इसके पश्चात् चन्द्रागमन, सूर्यागमन की रचना वाली चन्द्र-सूर्य आगमन नामक दिव्य नाट्यविधि का अभिनय किया।
93. Thereafter they danced depicting in a unique way the arrival of moon and later the arrival of sun.
९४. चंदावरणप. च सूरावरणप. च आवरणावरणप. णामं उवदंसेंति ।
९४. तत्पश्चात् चन्द्रावरण - सूर्यावरण अर्थात् चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण होने पर (अथवा सूर्य पर बादल छा जाने पर) जगत् और गगनमण्डल में होने वाले वातावरण की दर्शक आवरणावरण नामक दिव्य नाट्यविधि को प्रदर्शित किया।
94. Thereafter they danced exhibiting the state of environment at the time of lunar eclipse and subsequently all the environment at the time of solar eclipse when the clouds cover the sun.
९५. चंदत्थमणप. च सूरत्थमणप. च अत्थमणऽत्थमणप. णामं उवदंसेंति ।
९५. इसके बाद चन्द्र के अस्त होने, सूर्य के अस्त होने की रचना से युक्त अर्थात् चन्द्र और सूर्य के अस्त होने के समय के दृश्य से युक्त अस्तमयन प्रविभक्ति नामक नाट्यविधि का अभिनय किया।
95. Thereafter they depicted in their dance the scene of setting of the moon and later that of setting of the sun.
९६. चंदमंडलप. च सूरमंडलप. च नागमंडलप. च जक्खमंडलप. च भूतमंडलप. च रक्खस - महोरग - गन्धव्वमंडलप. च मंडलमंडलप. नामं उवदंसेंति ।
९६. तदनन्तर चन्द्रमण्डल, सूर्यमण्डल, नागमण्डल, यक्षमण्डल, भूतमण्डल, राक्षसमण्डल, महोरगमण्डल और गन्धर्वमण्डल की रचना से युक्त अर्थात् इनके मण्डलों के भावों का प्रदर्शक मण्डल प्रविभक्ति नामक नाट्य अभिनय प्रदर्शित किया।
96. Thereafter they depicted in the dances the central idea underlying the lunar system, solar system, the circles of Naag Kumar gods, the circles of Yaksha- a type of demi-gods, circles of Bhoot demi-gods, circles of Rakshas demi-gods, circles of Mahorag and circles of Gandharv demi-gods.
रायपसेणियसूत्र
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Rai-paseniya Sutra
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