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Bhagavan Mahavir After going through this account, one can imagine
the excellence of dramatic skills of that period ॐ नृत्य-अभिनय की समाप्ति
१०७. तणं णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य चउविहं वाइत्तं वाएंति, तं जहा-ततं-विततं-घणं-झुसिरं।
१०७. दिव्य नाट्विधियो को प्रदर्शित करने के पश्चात् वे सभी देवकुमार और र देवकुमारियाँ तत-वीणा आदि, वितत-ढोल-नगाडे आदि, घन-झांझ आदि और शुषिर
शंख, बाँसुरी आदि ये चार प्रकार के वादित्र-बजाने लगे। * THE END OF DRAMATIC PERFORMANCE
____107.After exhibiting the various dramatic skills, all the gods and goddesses started playing four types of musical instruments
namely—lute and others of Tat category, drums and others of a Vitat' category, cymbals and others of 'Ghan' category and conch, flute and others of “Shushir' category.
१०८. तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियाओ य चउविहं गेयं गायंति, तं जहा-उक्खित्तं-पायंतं-मंदायं-रोइयावसाणं च।
१०८. वाद्य बजाने के बाद वे सब देवकुमार और देवकुमारियाँ उत्क्षिप्त, पादान्त (पादवृद्ध), मदक और रोचितावसान नामक चार प्रकार का संगीत गाने लगे। ___108. After playing musical instruments, the gods and goddesses
started singing four types of vocal music namely-utkshipt (with * raised voice), padaant, mandak and rochitavasan.
१०९. तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियाओ य चउव्विहं णट्टविहिं उवदंसेंति, al तं जहा-अंचियं-रिभियं-आरभडं-भसोलं च।
१०९. उसके पश्चात् उन सभी देवकुमार और देवकुमारियों ने अंचित, रिभित, आरभट एव भसोल नामक चार प्रकार की नृत्यविधियों का प्रदर्शन किया। ____109. Thereafter they presented four types of dramatic skills namely-anchit, ribhit, aarbhat and bhasol.
११०. तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियाओ च चउव्विहं अभिणयं अभिणएंति, तं जहा-दिलृतियं-पाडियंतियं-सामनओविणिवाइयंअंतोमज्झावसाणियं च।
रायपसेणियसूत्र
(98)
Rar-paseniya Sutra
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