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१३१. तेसि णं पगंठगाणं उवरिं पत्तेयं पत्तेयं पासायवडेंसगा पन्नत्ता ।
ते णं पासायवडेंसगा अड्ढाइज्जाई जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं, पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं, अब्भुग्गयमूसिअ - पहसिया विव, विविहमणिरयणभत्तिचित्ता ।
वायविजय - वेजयंत पडागच्छत्ताइछत्तकलिया, तुंगा, गगणतलमणुलिहंतसिहरा, जालंतररयणपंजरुम्मिलियव्व, मणिकणगथुभियागा, वियसियसयवत्तपोंडरीयतिलगरयणद्धचंदचित्ता, णाणामणिदामालंकिया।
अंतो बहिं च सण्हा तवणिज्जवालुया - पत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासादीया दरिसणिज्जा जाव दामा ।
१३१. उन प्रकण्ठकों (चबूतरो ) के ऊपर एक - एक प्रासादावतंसक ( सुन्दर महल )
बना है।
ये प्रासादावतंसक ऊँचाई में अढाई सौ योजन ऊँचे और सवा सौ योजन चौडे हैं, चारों दिशाओं में व्याप्त अपनी प्रभा से हँसते हुए से प्रतीत होते है । विविध प्रकार के मणि-रत्नों से इनमें चित्र-विचित्र रचनाएँ बनी हुई हैं।
वे वायु से फहराती हुई, विजय को सूचित करने वाली वैजयन्ती - पताकाओं एवं एक-दूसरे के ऊपर रहे हुए छत्रों से शोभित हैं । अत्यन्त ऊँचे होने से इनके शिखर मानो आकाशतल को छू रहे हैं। विशिष्ट शोभा के लिए जाली - झरोखों में रत्न जडे हुए हैं । वे रत्न ऐसे चमकदार है मानो अभी-अभी पिटारों से निकाले हुए हों । मणियों और स्वर्ण से इनकी स्तूपकाएँ - शिखर बने हैं तथा स्थान-स्थान पर विकसित शतपत्र एवं पुडरीक कमलों के चित्र और तिलक रत्नों से रचित अर्ध-चन्द्र के चित्र बने हुए हैं। वे नाना प्रकार की मणिमय मालाओं से अलंकृत हैं।
भीतर और बाहर से चिकने - कमनीय हैं। आँगन में स्वर्णमयी बालुका बिछी हुई है, इनका स्पर्श सुखप्रद है। रूप शोभा - सम्पन्न है । देखते ही चित्त में प्रसन्नता होती है । यावत् मुक्तादामों आदि से सुशोभित हैं।
131. One beautiful palace is on each of those platforms.
These palaces are 250 yojans high and 125 yojans wide. Their brightness is spreading in all the four sides and they appear smiling. Many pictures made of gems are on them.
They are shining due to fluttering Vaijayanti flags and umbrella are one above the other indicating their success. Since they are
सूर्याभ वर्णन
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