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Hot च, ७. जोवणचरियनिबद्धं च, ८. कामभोगचरियनिबद्धं च, ९. निक्खमण
चरियनिबद्धं च, १०. तवचरणचरियनिबद्धं च, ११. णाणुप्पायचरियनिबद्धं च, १२. तित्थपवत्तणचरियं च, १३. परिनिव्वाणचरियनिबद्धं च, १४. चरिमचरियनिबद्धं च णामं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति।
१०६. इसके बाद उन सब देवकुमारों एवं देवकुमारियों ने श्रमण भगवान महावीर के (१) पूर्वभवों के चरित्र से जुड़े एवं वर्तमान जीवन सम्बन्धी प्रसंग, (२) च्यवनचरित्र (च्यवन से सम्बन्धित), (३) गर्भसंहरण से सम्बन्धित, (४) जन्म, (५) जन्माभिषेक, (६) बाल-क्रीड़ा से सम्बन्धित, (७) यौवनचरित्र (विवाह के प्रसंग), (८) काम-भोगचरित्र (गृहस्थावस्था से सम्बन्धित विवाह आदि का दृश्य), (९) अभिनिष्क्रमणचरित्र निबद्ध (दीक्षा-महोत्सव से
सम्बन्धित), (१०) तपश्चरणचरित्र निबद्ध (साधनाकालीन विविध दृश्य और ध्यान मुद्राएँ), 6 (११) केवलज्ञान उत्पत्ति के दृश्य (कैवल्य महोत्सव का दृश्य), (१२) तीर्थ प्रवर्तन सम्बन्धी
दृश्य, (१३) परिनिर्वाणचरित्र (मोक्ष प्राप्त होने के समय का दृश्य), तथा (१४) चरमचरित्र निबद्ध (निर्वाण प्राप्त हो जाने के पश्चात् देवों आदि द्वारा किये जाने वाले महोत्सव से सम्बन्धित दृश्य) नामक अन्तिम दिव्य नाट्य-अभिनय का प्रदर्शन किया। DRAMATIC PRESENTATION FROM LIFE OF BHAGAVAN MAHAVIR _____106. Thereafter all the said gods and goddesses presented sceness relating to life of Bhagavan Mahavir (1) both present and earlier life-spans, (2) the scene relating to his entering the womb (of his
earlier mother), (3) the removal of foetus for transfer, (4) the scenes Ke relating to his birth, (5) his birth festivities, (6) his play activities,
(7) his marriage, (8) his family life with his wife, (9) his renunciation, (10) his austerities, his various poses, and postures in meditation, (11) his attainment of omniscience (celebrations of his attaining omniscience, (12) his founding the four fold religious ford, (13) his salvation, (14) the festivities arranged by gods to celebrate his salvation.
विवेचन-देवो द्वारा श्रमण भगवान महावीर एवं गौतम आदि श्रमण निर्ग्रन्थो के समक्ष प्रदर्शित बत्तीस प्रकार के नाट्य-अभिनयो मे से अन्तिम (बत्तीसवाँ अभिनय) श्रमण भगवान महावीर की जीवन-घटनाओ के मुख्य-मुख्य प्रसगो से सम्बन्धित है। यह सब पढकर तत्कालीन अभिनय कला की परम प्रकर्षता की कल्पना की जा सकती है।
Elaboration—The last of all the thirty two dramatic presentations by the gods in presence of Shraman Bhagavan Mahavir, Gautam and other Nirgranths was the one relating to major incidents from the life of one
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सूर्याभ वर्णन
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