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द्वारों की खूटियाँ
१२३. तेसि णं दाराणं उभओ पासे दुहओ णिसीहियाए सोलस-सोलस णागदंतपरिवाडीओ पन्नत्ताओ।
ते णं णागदंता मुत्ताजालंतरुसियहेमजाल-गवक्खजाल-खिंखिणीघंटाजालपरिक्खित्ता अब्भुग्गया अभिणिसिट्ठा तिरियं सुसंपरिग्गहिया अहेपन्नगद्धवा, * पन्नगद्धसंठाणसंठिया, सव्ववयरामया अच्छा जाव पडिरूवा महया महया गयदंतसमाणा पनत्ता समाणाउसो।
१२३. उन द्वारो की दोनों बाजुओं की दोनों निशीधिकाओ में सोलह-सोलह नागदन्तों (हाथी के दांत के आकार की खूटी) की पक्तियाँ हैं। की “हे आयुष्मन् श्रमणो ! ये नागदन्त (टियाँ) मोतियों और सोने की मालाओं में लटकती * हुई गवाक्षाकार (गाय की आँख) जैसी आकृति वाले घुघरुओं से युक्त, छोटी-छोटी 9 घंटिकाओ से परिवेष्टित हैं। इनका आगे का भाग कुछ ऊपर की ओर उठा और दीवाल से 9 बाहर निकलता हुआ है एव पिछला भाग अन्दर दीवाल में अच्छी तरह से घुसा हुआ है और ॐ सर्प के अधोभाग (पिछले भाग) जैसे आकार का है। अग्र भाग का संस्थान सर्पार्ध के समान
है। वे वज्र रत्नो से बने हुए हैं। बडे-बड़े गजदन्तो जैसे ये नागदन्त अतीव स्वच्छ, निर्मल यावत् अतिशय शोभाजनक हैं।" THE PEGS OF THE GATES ____123. In both the seats at the two sides of the gates, there are sixteen tusklike pegs each.
“O the blessed saints ! The rosaries of pearls and gold beads are *hanging from those pegs. They are having small bells and small
ringing stones. The front part is a little raised and is protruding from the wall. The other portion is tightly stuck into the wall and is serpentine in shape. The front portion is like half-snake. They are made of Vajra jewels. They are like huge tusk. They are exquisitely pure clean and attractive."
१२४. तेसु णं णागदंतएसु बहवे किण्हसुत्तबद्धा वग्धारितमल्लदामकलावा णील-लोहित-हालिद्द-सुक्किलसुत्तबद्धा वग्धारितमल्लदामकलावा। ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा, सुवनपयरगमंडिया नाणाविहमणिरयणविविह-हारउवसोभियसमुदया जाव सिरीए अईव अईव उवसोभेमाणा चिटुंति।
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सूर्याभ वर्णन
(111)
Description of Suryabh Dev
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