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९७. उसभमंडलप. च सीहमंडलप. च हयविलंबियं गयवि. हयविलसियं गयविलसियं मत्तहयविलसियं मत्तगजविलसियं मत्तहयविलंबियं मत्तगयविलंबियं दुतविलंबियं णामं विहिं उवदंसेंति ।
९७. तत्पश्चात् वृषभमण्डल, सिंहमण्डल की ललित गति, अश्व गति और गज की विलम्बित - धीमी गति, अश्व और हस्ती की विलसित गति ( मस्ती भरी चाल), मत्त अश्व और मत्तगज की विलसित गति, मत्त अश्व की विलम्बित गति, मत्त हस्ती की विलम्बित गति (विभिन्न पशुओं की भिन्न-भिन्न प्रकार की गति) की दर्शक रचना से युक्त द्रुतविलम्बित (शीघ्र और धीमी) प्रविभक्ति नामक दिव्य नाट्यविधि का प्रदर्शन किया।
97. Thereafter they exhibiting the dramatic performance depicted the slow and fast gait of different types of animals, namely bullock, lion, horse, elephant —their slow motion, their romantic motion, the unbridled gait of horse and elephant by their dance known as Drut-vilambit pravibhakti dance.
९८. सागरपविभत्तिं च नागरप वि. च सागर - नागरप. च णामं उवदंसेंति ।
९८. इसके बाद सागर प्रविभक्ति, नगर प्रविभक्ति अर्थात् समुद्र और नगर सम्बन्धी रचना से युक्त सागर - नागर प्रविभक्ति नामक नाट्यविधि का अभिनय किया।
98. Thereafter they performed the dance depicting ocean, city and their division.
९९. णंदाप वि. च चंपाप वि. च नन्दा - चंपाप वि. च णामं उवदंसेंति ।
९९. तत्पश्चात् नन्दा प्रविभक्ति - नन्दा पुष्करिणी की सुरचना से युक्त, चम्पा प्रविभक्तिचम्पक वृक्ष की रचना की भाँति नन्दा - चम्पा प्रविभक्ति नामक दिव्य नाट्य का अभिनय दिखाया।
99. Thereafter they in their dance created Nanda Pushkarni (lake) and Champak tree.
१००. मच्छंडाप वि. च मयरंडाप वि. च जारप वि. च मारप वि. च मच्छडामयरंडा - जारा-माराप च णामं उवदंसेंति ।
१००. तत्पश्चात् मत्स्याण्डक, मकराण्डक, जार, मार की आकृतियों की सुरचना से युक्त मत्स्याण्ड, मकराण्ड, जार, मार प्रविभक्ति नामक दिव्य नाट्यविधि दिखलाई ।
सूर्याभ वर्णन
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Description of Suryabh Dev
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