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ORDERS OF SURYABH DEV FOR DANCE, SINGING AND MUSIC
78. Thereafter Suryabh Dev called the young gods and goddesses.
The gods and goddesses came to him cheerfully. They folded their hands humbly in his honour and sought his orders for assigning than their duties. ___ ७९. तए णं से सूरियाभे देवे ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य एवं वयासी
गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! समणं भगवंतं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण, करेह, करित्ता वंदह नमंसह, वंदित्ता नमंसित्ता गोयमाइयाणं समणाणं निग्गंथाणं तं दिव्य देविड्ढिं दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभावं, दिव्वं बत्तीसइबद्धं णट्टविहिं उवदंसेह, उवदंसित्ता खिप्पामेव एयमाणत्तिय। ___७९. तब सूर्याभदेव ने उन देवकुमारों और देवकुमारियों से इस प्रकार कहा
“हे देवानुप्रियो । तुम सभी श्रमण भगवान महावीर के पास जाओ और उनकी __आदक्षिण-प्रदक्षिणा करो। वन्दन-नमस्कार करो। वन्दन-नमस्कार करके गौतमादि श्रमण
निर्ग्रन्थो के समक्ष दिव्य देवऋद्धि, दिव्य देवधुति, दिव्य देवानुभाव वाली बत्तीस प्रकार की दिव्य नाट्यविधि का प्रदर्शन करो। शीघ्र ही मेरी इस आज्ञा का पालन कर मुझे सूचित करो।"
79 Then Suryabh Dev addressed them as under___ “O the blessed ! All of you go to Shraman Bhagavan Mahavir,er move around him in his honour, bow to him and thereafter presente thirty two types of celestial dances fully exhibiting celestial wealth and grace in the presence of Gautam and other saints (Nırgranths). After executing these orders, you inform me.”
८०. तए णं ते बहवे देवकुमारा देवकुमारीओ य सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठ जाव करयल जाव पडिसुणंति। ___ पडिसुणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवंतं महावीरं जाव नमंसित्ता जेणेव गोयमादिया समणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छंति।
८०. तब वे सभी देवकुमार और देवकुमारियॉ सूर्याभदेव की आज्ञा को सुनकर हर्षित हुए। दोनों ने हाथ जोडकर आज्ञा को स्वीकार किया।
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सूर्याभ वर्णन
(81)
Description of Suryabh Deve
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