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स्वीकार करके श्रमण भगवान महावीर के पास आये। आकर श्रमण भगवान महावीर को नमस्कार करके जहाँ गौतम आदि श्रमण निर्ग्रन्थ विराजमान थे, वहाँ आये।
80. All the gods and goddesses felt pleased at this command and accepted the orders with folded hands.
Thereafter they came to Bhagavan Mahavir, bowed to him and arrived at the place where Gautam was seated.
८१. तए णं ते बहवे देवकुमारा देवकुमारीओ य समामेव समोसरणं करेंति, करित्ता समामेव अवणमंति अवणमित्ता समामेव उनमंति।
एवं सहियामेव ओनमंति एवं सहियामेव उन्नमंति। सहियामेव उण्णमित्ता संगयामेव ओनमंति संगयामेव उन्नमंति उन्नमित्ता थिमियामेव ओणमंति थिमियामेव उन्नमंति।
समामेव पसरंति पसरित्ता, समामेव आउज्जविहाणाई गेण्हंति। समामेव पवाएंसु " पगाइंसु पणच्चिंसु।
८१. इसके पश्चात् वे सभी देवकुमार और देवकुमारियाँ पंक्तिबद्ध होकर एक साथ a मिले। मिलकर सब एक साथ नीचे नमे और एक साथ ही अपना मस्तक ऊपर कर सीधे a खड़े हुए।
इसी क्रम से पुनः सभी एक साथ मिलकर नीचे नमे और फिर मस्तक ऊँचा कर सीधे खडे हुए। इसी प्रकार सीधे खडे होकर (पुनः तीसरी बार) नीचे नमे और फिर सीधे खड़े ॐ हुए। खड़े होकर धीमे से कुछ नमे और फिर सीधे खड़े हुए।
फिर खडे होकर एक साथ अलग-अलग फैल गये और फिर यथायोग्य नृत्य-गान आदि के उपकरणों, वाद्यों को लेकर एक साथ ही बजाने लगे, एक साथ ही गाने लगे और एक साथ नृत्य करने लगे।
81. Thereafter all of them stood in a row, bowed collectively in 9 respect and then raised their heads and stood erect.
They repeated this benediction twice.
Thereafter, while standing, they moved apart, took their respective musical instruments and started playing them in symphany. They also started singing and dancing together. नृत्य-गान आदि का स्वरूप
८२. किं ते ?
रायपसेणियसूत्र
(82)
Rar-paseniya Sutra
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