Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
सुघारीका स्था० ८ सू० ५५ पर्वतोपरिस्थितकूटस्वरूपनिरूपणम् १७७ मारीरष्टस्थानत्वेनाह-: अट्ठ अहेलोगवत्थव्यामो' इत्यादि । अधोलोकयास्तव्याः अधोलोकवासिन्योऽष्टौ दिक्कुमारीमहत्तरिकाः प्रज्ञप्ताः तद्यथा-भोगङ्करा भोगवतीत्यादि । तत्र-भोगङ्करा भोगवतीदेव्यो सौमनसपर्वतवासिन्यौ, सुभोगा. भोग मालिनीदेव्यो गन्धमादनपर्वतयासिन्यौ; सुक्त्सावत्समित्रादेव्यो विद्युत्न. भपर्वतवासिन्यौ, वारिषेणाबलाहकादेव्यौ माल्यवत्पर्वतवासिन्यौ । तदुक्तम्
" सोमणसगंधमायणविज्जुप्पभमालवंतवासीओ।
अदिसि देवयाओ, वत्थन्याओ अहे लोए ॥ १॥" छाया-सौमनसगन्धमादन विद्युत्पभमाल्यवद्वासिन्यः ।
अष्ट दिग्देवता वास्तव्या अधोलोके ।। १ ।। इति । के समय चामरोंको हाथोंमें लेकर गाना गाती हैं और भगवानकी सेवा करती हैं।६। दिक्कुमारिकाओंके अधिकारको लेकर अब सूत्रकार अर्चलोक एवं अधोलोकमें स्थित जो दिक्कुमारिकाएँ हैं उनका आठ स्थान रूपसे कथन करते हैं-" अट्ठ अहोलोगवत्थव्चाओ" इत्यादि। ___ अधोलोकमें आठ कुमारिकाओंका निवास कहा गया है-उनके नाम इस प्रकारसे हैं-भोगङ्करा १, भोगवती २, सुभोगा ३, भोग. मालिनी ४, सुरत्सा ५, वत्समित्रा ६, वारिषेणा ७ और क्लाहका ८ इनमें भोगङ्करा और भोगवती ये दो देवियां सौमनस पर्वत पर रहती हैं, सुभोगा और भोगमालिनी ये दो देवियां गन्धमादन पर्वत पर रहती हैं सुबत्सा और वत्समित्रा वे दो देचियां विद्युत्प्रभ पर्वत पर रहती हैं वारिषेणा और बलाहका ये दो देवियां माल्य पर्वत पर रहती हैं-कहा भी है-" सोमणस गंधमायण" इत्यादि । જન્મ મહોત્સવના સમયે હાથમાં ચામર લઈને ગીત ગાય છે અને ભગવાનની સેવા કરે છે. દા
દિકુમારીઓને અધિકાર ચાલી રહ્યો છે, તેથી હવે સૂત્રકાર ઉર્વિલેકમાં તથા એલેકમાં રહેતી દિકકુમારીઓનું આઠ સ્થાન રૂપે નિરૂપણ કરે છે– ___“अट्र अहेलोगवत्थव्वाओ" त्या:ટીકાર્થ-અલેકમાં આઠદિકુમારીઓ વસે છે તેમના નામ નીચે પ્રમાણે છે
(१) ४२१, मन (२) लोगपती-मा हेपीमा सीमनसपत ५२ २ . (3) सुनोमन (४) मासिनी- हवामा अन्धमादन परत ५२ २७ छ, (५) सुबत्सा मन (6) वत्सभित्रा-मामे हेवी। विधुत्प्रल मत પર રહે છે. (૭) વારિણા અને (૮) બલાહકા-આ બે દેવીઓ માલ્ય પર્વત ५२ २७ छ. ४ो ५ 03-" सोमणसगंधमायण" त्या:
स्था--२३
શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૫