Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुघा टीका स्था० १० सू० ६३ नारकादि जीवद्रव्यभेदनिरूपणम् ६१९ वन्ना १, परंपरोक्वन्ना २ अणंतरावगाढा ३ परंपरावगाढा ४ अणंतराहारगा ५ परंपराहारगा ६ अणंतरपज्जत्ता ७ परंपरपज्जत्ता ८ चरिमा ९ अचरिम। १०। एवं जाव वेमाणिया ॥१॥ चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए दस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥२॥ रयणप्पभाए पुढवीए जहन्ने] नेरइयाणं दसवाससहस्साई ठिई पण्णत्ता ॥३॥ चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए उक्कोसेणं नेरइयाणं दससागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता ॥४॥ पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए जहन्नेणं नेरइयाणं दस सागरोवमाई टिई पण्णत्ता ॥ ५॥ असुरकुमाराणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई ठिई पपणत्ता ॥६॥ एवं जाव थाणयकुमाराणं ॥७॥ बायरवणस्सइकाइयाणं उक्कोसणं दस चाससहस्साइं ठिई पण्णत्ता ॥८॥ वाणमंतरदेवाणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई ठिई पण्णत्ता ॥ ९॥ बंभलोगे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं दससागरोवमाइं ठिई पण्णता ॥ १०॥ लंतए कप्पे देवाणं जहन्नेणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ११ ॥सू०६३।।
छाया-दशविधा नैरयिकाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-अनन्तरोपपन्नाः १ परम्परोपपन्नाः २ अनन्तरावगाढाः ३ परम्परावगाढाः ४ अनन्तराहारकाः ५ परम्परा. हारकाः ६ अनन्तरपर्याप्ताः ७ परम्परपर्याप्ताः ८ चरमाः ९ अचरमाः १०) एवं यावद् वैमानिकाः ॥१॥ चतुर्थ्यां खलु पङ्कप्रभायां पृथिव्यां दश निरयावासशतसहस्राणि प्रज्ञप्तानि ॥२॥ रत्नप्रमायां पृथिव्यां जघन्येन नैरयिकाणां दश. वर्षसहस्राणि स्थितिः प्रज्ञप्ता ॥३॥ चतुर्या खलु पङ्कप्रभायां पृथिव्याम उत्कर्षण नैरयिकाणां दश सागरोपमाणि स्थितिः प्रज्ञप्ता ।। ४ ।। पश्चम्यां खलु धूमपभायां पृथिव्यां जघन्येन नैरयिकाणां दश सागरोपमाणि स्थितिः प्रज्ञप्ता ॥ ५ ॥ असुरकुमाराणां जघन्येन दश वर्ष सहस्राणि स्थितिः प्रज्ञप्ता ॥ ६ ॥ एवं
શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૫
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