Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 686
________________ सुघा टीका० स्था १० सू० ७६ दशविधप्रतिमास्वरूपनिरूपणम् श्रीवत्सः ४, ब्रह्मणो नन्द्यावतः ५, लान्तकस्य कामकमः ६, महाशुक्रस्य पीतिगमः ७, सहस्रारस्य मनोरमः ८, प्राणतस्य विमलवरः ९, अच्युतस्य सर्वतोभद्रः १०, इति ॥ सू० ७५ ॥ पालकादि विमानयायिन इन्द्रा उक्ताः । इन्द्रत्वं तु जीयाः प्रतिमादिरूप तपोधाराधनतः प्राप्नुवन्तीति प्रतिमाया दशविधत्यमाह मूलम्-दस दसमिया भिक्खुपडिमा णं एगणराइंदियसएणं अद्धछट्रेहि भिक्खासएहिं अहासुतं जाय आराहिया आणाए अणुपालियावि मवइ ॥ सू० ७६॥ . छाया-दश दशमिका भिक्षुप्रतिमा खलु एकेन रात्रिन्दिवशतेन अर्द्धपष्टैमिक्षाशतैयथासूत्रं यावत् आराधिता आज्ञया अनुपालिताऽपि भवति ।। सू० ७६ ।। टीका-' दसदसमिया' इत्यादि दश दशमिका-दश दशमानि दिनानि यस्यां सा तथाभूता-भिक्षुमतिमा अभिग्रहविशेषः खलु-निश्चयेन एकेन रात्रिदिवशतेन-एकशतसंख्यकैरहोरात्रै अर्धषष्ठेश्च भिक्षाशतैः सार्धपश्चशतसंख्या-भिर्द त्तिभिश्च यथासूत्र-सूत्रनिर्दिष्टहै २ सौमनस विमान सनत्कुमार का है ३ श्रीवत्स विमान माहेन्द्र का है,नन्द्यावर्त विमान ब्रह्माका है ५कामकम विमान लान्तकका है प्रीतिगम विमान महाशुक्र का है ७ मनोरम विमान सहस्रारका है ८ विमलवर विमान प्राणतका है ९ और सर्वतोभद्र विमान अच्युतका है।सू०॥७९॥ पालक आदि विमानों से गमन करने के स्वमाययाले इन्द्र कहे गये हैं। जीव इन इन्द्रों के पदको प्रतिमादि रूप तप की आराधना से प्राप्त करते हैं इसलिये अब सूत्रकार प्रतिमा का दशविध रूप से कथन करते हैं-'दस दसमिया भिक्खुपडिमाणं" इत्यादि । सू० ॥७६॥ ___टीकार्थ-दश दशकवाली भिक्षु प्रतिमा-अभिग्रह विशेष निश्चय से १०० रात दिनों से ५५० मिक्षाओं से यथासूत्र-सूत्र निर्दिष्ट विधि के विमान नाम श्रीवत्स छ. (५) प्रहाना विमानतुं नाम न धावत , (6) सान्त. કના વિમાનનું નામ કામકમ છે, (૭) મહાશુકના વિમાનનું નામ પ્રીતિગમ છે. (૮) સહસ્ત્રારને વિમાનનું નામ મનોરમ છે. (૯) પ્રાણુતના વિમાનનું નામ વિમલવાર છે. (૧૦) અચુતના વિમાનનું નામ સર્વતોભદ્ર છે. જે સૂ ૭૫ છે પાલક આદિ વિમાનમાં ઈન્દ્રો ગમન કરનારા હોય છે. પ્રતિમાદિ તપની આરાધના દ્વારા ઈન્દ્રપદની પણ પ્રાપ્તિ કરી શકે છે. તેથી હવે સૂત્રકાર પ્રતિમાના इस रेनु (१३५४४ ४२ -"दस दसमिया भिक्खुपडिमाण" Jल्या-(सू ७६) ટીકાઈ–દસ દસકવાળી (દસ દસ દિનના દસ સમૂહવાળી) ભિક્ષુપ્રતિમાનું (અભિગ્રહ વિશેષનું) ૧૦૦ રાતદિવસમાં ૫૫૦ ભિક્ષાઓ વડે યથાસૂત્ર (સૂત્રમાં स्था०-८३ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૫

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